प्रार्थना
हे प्रभु दीन बंधु हो तुम तो
और दीनों के नाथ हो
अपने भक्तों के सुख-दुख में
सदा निभाते साथ हो
जय जय जय जय जय गिरधारी
हर लो मेरी विपदा सारी
परमात्मा हो तुम परमेश्वर
और तुम ही अखिलेश हो
आदिकाल से पूजे जाते
ब्रह्मा विष्णु महेश हो
भाग्यवान है वे सब जिनके
सर पर तुम्हारा हाथ हो
हे प्रभु दीन बंधु हो तुम तो
और दीनों के नाथ हो
जय जय जय जय जय त्रिपुरारी
हर लो मेरी विपदा सारी
जबभी जिसने सच्चे दिल से
दुख में तुम्हें पुकारा है
उसकी सारी विपदा हर कर
तुमने दिया सहारा है
उसके कष्ट निवारण करके
करी प्रेम बरसात हो
हे प्रभु दीन बंधु हो तुम तो
और दीनों के नाथ हो
जय जय चक्र सुदर्शन धारी
हर लो मेरी विपदा सारी
जब-जब पाप बढ़ा धरती पर
फैला अत्याचार हुआ
तब तब दुष्ट हनन करने को
तुम्हारा अवतार हुआ
तुमने शांति, धर्म फैलाया
दूर किया उत्पात हो
हे प्रभु दीन बंधु हो तुम तो
और दीनों के नाथ हो
जय जय रामचंद्र अवतारी
हर लो मेरी विपदा सारी
कभी राम बनकर तुम जन्में
रावण का संहार किया
कभी कृष्ण बन लीलाधारी
दुष्ट कंस का को मार दिया
कभी प्रकट नरसिंह रूप में
बचा लिया प्रहलाद हो
हे प्रभु तुम तो दीनबंधु हो
और दीनों के नाथ हो
जय जय जय जय कृष्ण मुरारी
हर लो मेरी विपदा सारी
कभी मोहनी रूप लिया
और देवों में अमृत बांटा
धोखे से जो आए पीने
राहु केतु का सिर काटा
भस्मासुर को भस्म कराया
रख सर खुद का हाथ हो
हे प्रभु दीन बंधु हो तुम तो
और दीनों के नाथ हो
जय जय जय भोले भंडारी
हर लो मेरी विपदा सारी
विपुल संपदा के दाता तुम
सबके भाग्य विधाता हो
उसे कमी क्या,जिसकी पत्नी
स्वयं लक्ष्मी माता हो
मुझको दो धन-धान्य
तुम्हारा भजन करूं दिन रात हो
हे प्रभु दिन बंधु हो तुम तो
और दीनों के नाथ हो
मैं हूं आया शरण तिहारी
हर लो मेरी विपदा सारी
मदन मोहन बाहेती घोटू