Saturday, September 20, 2025

यह जाना बुढ़ापे में 

कौन पराया कौन है अपना 
कौन प्यार करता है कितना 
बड़ी स्वार्थी ,दुनिया सारी 
है दिखावटी ,रिश्तेदारी 
सब है मतलब के यार 
यह जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में 

बीत गए दिन जब जवान था 
हर कोई मुझ पर मेहरबान था 
कुछ ना कुछ मुझे पाते थे 
हरदम मेरे गुण गाते थे 
प्रभु कृपा से धन दौलत थी 
खुल्ले हाथ मदद की सबकी 
स्रोत संपत्ति का सूख रहा अब 
हर कोई मुझसे रूठ रहा अब 
बदल रहा व्यवहार सभी का 
दुनियादारी ,अब मैं सीखा 
जब खाई उन्हीं से मार,
यह जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में 

हुआ कभी गर्वित मैं थोड़ा 
कोई का दिल मैंने तोड़ा 
मुझ में आया कभी अहम था 
अब जाना वो सिर्फ बहम था 
भले बुरे सब हालातो में 
तुम शालीन रहो बातों में 
बिगड़े नहीं किसी से रिश्ते 
रहो सभी से मिलते जुलते 
कभी किसी पर क्रोध न जागे 
टूटे नहीं प्रेम के धागे 
सुख के पल हो या दुख मातम 
प्रभु का नाम सुमरना हरदम 
एक वही करेगा बेड़ा पार 
ये जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जय जय लक्ष्मी माता 

जय जय श्री लक्ष्मी माता 
तू सुख और संपति दाता 
तेरी कृपा दृष्टि जो पाता 
हरदम तुझको शीश नमाता 
थोड़ा मुझ पे भी लुटा दे प्यार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू भर दे मेरा भंडार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

तेरी छवि है धन बरसाती 
जल स्नान कराते हाथी 
कमल पुष्प पर तेरा आसन 
हाथ जोड़कर खड़े भक्तजन 
तेरी पूजा करें संसार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू भर दे मेरे भंडार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

माता तू है धन प्रदायिनी 
नारायण की अंकशायनी 
शेषनाग पर ,बीच समंदर 
रहती पति सेवा मे तत्पर 
तुझ में सेवा भाव अपार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू कर दे मेरा भी उद्धार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

आया शरण तिहारी माते 
मुझ पर कृपा दृष्टि बरसा दे 
मेरे भाग्य को तू चमका दे 
मेरा वैभव खूब बढ़ा दे 
मेरा बेड़ा लगा दे पार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तेरी महिमा अपरंपार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

मैया तू है देवी धन की 
तुझ बिन गति नहीं जीवन की 
 तू है , सुंदर परिधान है
तू है, अच्छा खानपान है
तुझे पूजूं में बारंबार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
कर दे मुझ पर भी उपकार 
ओ मैया लक्ष्मी जी

मदन मोहन बाहेती घोटू