खींच सकता हूं जितना
झेलता सब परेशानी,
बुढ़ापे की बीमारी की,
अभी तक काटा ये जीवन,
हमेशा गाते ,मुस्काते
जिऊंगा यूं ही हंस हंस कर
जब तलक मेरे दम में दम
मौत भी डगमगाएगी,
मेरे नजदीक को आते
क्योंकि हथियार मेरे संग,
दुआएं दोस्तों की है,
है रक्षा सूत्र बहनों का ,
भाइयों का है अपनापन
असर पत्नी के सब व्रत का,
है करवा चौथ, तीजों का
मिलेगा फल उसे निश्चित,
रहेगी वह सुहागन बन
प्यार में मेरा भी सबसे
बन गया इस तरह बंधन
मोह में और माया में ,
उलझ कर रह गया है मन
मज़ा जीने में आता है
चाहता दिल, जियूँ लंबा
जब तक खींच सकता हूं
मैं खींचूंगा मेरा जीवन
मदन मोहन बाहेती घोटू