मायक्रोवेव की तरह
तुम्हारी तरंगें
मेरे मन को इतना उद्वेलित कर देती है
की मेरे रोम रोम में
उर्जा का संचार हो जाता है
मेरे मन के प्रेशर कुकर में
जब तम्हारी ऊष्मा से
रक्त का दबाब बढ़ जाता है
तो सीटी सी बजने लगती है
मै गैस के चूल्हे सा
तुम्हारे प्यार के लायटर की चिंगारियों से
प्रज्वलित होता रहता हूँ
मै नान स्टिक तवे जैसा हूँ
जिससे तुम
कभी परांठा या डोसा बन
मिलती ,छिटकती रहती हो
मै तो चांवल और उड़द का वो घोल हूँ
जिसे तुम्हारे प्यार की स्टीम ने
स्वादिष्ट इडली जैसा बना दिया है
मै जूसर मिक्सर ग्रायिंदर की तरह
ज्यूस,चटनी, और पिसाई के लिए
अत्यंत उपयोगी उपकरण हूँ
तुमने अपने रूप और यौवन को
फ्रीजर में रखे हुए फलों की तरह
तरोताजा बना रखा है
तुम्हारे सुन्दर से मुखड़े पर
जब मुस्कान आती है
तो लगता है ,अरहर की दाल में
देशी घी का तड़का लग गया हो
आज रसोई घर की सब चीजे
तुम्हारी याद दिला रहीं हैं
तुम मैके से कब आओगी?
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
नोयडा उ.प्र.
No comments:
Post a Comment