Tuesday, April 12, 2011

,नशे के लिए

 छलकते जाम से है लब तुम्हारे अंगूरी,
           नशीली है तुम्हारे नैन की चितवन चंचल
उम्र भर पीते रहो पर कभी न खाली हो
            तुम्हारा जिस्म है पूरी शराब की बोतल
प्यार से देख भी लेती हो नशा आता है,
             तेरे हाथों की छुवन काफी है नशे के लिए
तुम्हारी बातें नशीली है,साथ मदमाता,
             हमने छोड़ दी पीनी शराब ,नशे के  लिए
  
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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