नीम के पत्ते
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घूँट कड़वे पी लियें है ,इतने अनजाने
नीम के पत्तों में ,स्वाद लगा है आने
१
कभी सुना करते थे ,गानों की मधुर तान
और सोया करते थे ,चैन से खूँटी तन
भूल गये वो गाने ,दूर हुई वो ताने
अब तो बस मिलते है ,सुनने को बस ताने
मधुर सुर की आशा में,जीतें है, मस्ताने
नीम के पत्तो में ,स्वाद लगा है आने
2
बड़े बूढ़े सबका ही ,करते थे बहुत मान
कितनेही त्याग किये,बुजुर्गों का कहा मान
मात पिता भक्ति के,बदल गये अब माने
सुने अपने दिल की या ,बात उनकी हम माने
हम पर क्या गुजरी है,ये तो बस हम जाने
नीम के पत्तो में ,स्वाद लगा है आने
३
प्रेम का मधुर मधु ,बरसता था बन बादल
था मिठास कुछ एसा ,खुशियाँ थी बस हर पल
बीत गये है बरसों ,प्यार को अब बरसे
अब मधु की मेह नहीं ,हम मिठास को तरसे
एसा है मधुमेह , मीठा ना दे खाने
नीम के पत्तो में ,स्वाद लगा है आने
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
नोयडा उ.प्र
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घूँट कड़वे पी लियें है ,इतने अनजाने
नीम के पत्तों में ,स्वाद लगा है आने
१
कभी सुना करते थे ,गानों की मधुर तान
और सोया करते थे ,चैन से खूँटी तन
भूल गये वो गाने ,दूर हुई वो ताने
अब तो बस मिलते है ,सुनने को बस ताने
मधुर सुर की आशा में,जीतें है, मस्ताने
नीम के पत्तो में ,स्वाद लगा है आने
2
बड़े बूढ़े सबका ही ,करते थे बहुत मान
कितनेही त्याग किये,बुजुर्गों का कहा मान
मात पिता भक्ति के,बदल गये अब माने
सुने अपने दिल की या ,बात उनकी हम माने
हम पर क्या गुजरी है,ये तो बस हम जाने
नीम के पत्तो में ,स्वाद लगा है आने
३
प्रेम का मधुर मधु ,बरसता था बन बादल
था मिठास कुछ एसा ,खुशियाँ थी बस हर पल
बीत गये है बरसों ,प्यार को अब बरसे
अब मधु की मेह नहीं ,हम मिठास को तरसे
एसा है मधुमेह , मीठा ना दे खाने
नीम के पत्तो में ,स्वाद लगा है आने
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
नोयडा उ.प्र
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