बड़ा सराफा की चौपाटी
--------------------------
(इन्दोर शहर की इस जगह पर रात को जो खानेपीने
की महफ़िल सजती है उसका आनंद अकथनीय है
कोई भी भोजनप्रेमी इस स्वाद से वंचित न हो इसी
कामना के साथ यह मालवी कविता प्रस्तुत है )
बड़ा सराफा की चौपाटी,खानपान को जंक्शन है
रात होय तो एसो लागे,जेसे कोई फंक्शन है
गेंदा जेसा बड़ा दहीबड़ा,साबूदाना की खिचड़ी
गरम गरम झर्राट गराडू,और ठंडी ठंडी रबड़ी
देसी घी किआलू टिक्की,भुट्टा को किस नरम नरम
बड़ी बड़ी रसभरी केसरी,मिले जलेबी गरम गरम
मद्रासी इडली और डोसा,बम्बई का भाजी पाव
चाइनीज की मंचूरियन,चाउमीन जी भर खाव
खाओ पताशा पानी का छै स्वादों को पानी मेली
गरम दूध केसर को पियो और शिकंजी अलबेली
गाजर,मूंगदाल को हलवो,तिल का लड्डू मावा का
सर्दी में भी मज़ा उठाओ,ठंडी कुल्फी खावा का
पेट भले ही भरी जाय है ,लेकिन भरे नहीं मन है
बड़ा सराफा की चौपाटी,खानपान को जंक्शन है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
--------------------------
(इन्दोर शहर की इस जगह पर रात को जो खानेपीने
की महफ़िल सजती है उसका आनंद अकथनीय है
कोई भी भोजनप्रेमी इस स्वाद से वंचित न हो इसी
कामना के साथ यह मालवी कविता प्रस्तुत है )
बड़ा सराफा की चौपाटी,खानपान को जंक्शन है
रात होय तो एसो लागे,जेसे कोई फंक्शन है
गेंदा जेसा बड़ा दहीबड़ा,साबूदाना की खिचड़ी
गरम गरम झर्राट गराडू,और ठंडी ठंडी रबड़ी
देसी घी किआलू टिक्की,भुट्टा को किस नरम नरम
बड़ी बड़ी रसभरी केसरी,मिले जलेबी गरम गरम
मद्रासी इडली और डोसा,बम्बई का भाजी पाव
चाइनीज की मंचूरियन,चाउमीन जी भर खाव
खाओ पताशा पानी का छै स्वादों को पानी मेली
गरम दूध केसर को पियो और शिकंजी अलबेली
गाजर,मूंगदाल को हलवो,तिल का लड्डू मावा का
सर्दी में भी मज़ा उठाओ,ठंडी कुल्फी खावा का
पेट भले ही भरी जाय है ,लेकिन भरे नहीं मन है
बड़ा सराफा की चौपाटी,खानपान को जंक्शन है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
No comments:
Post a Comment