अब तो उमर बची चौथाई
जीवन भर संघर्ष रत रहे
किन्तु अग्रसर ,प्रगतिपथ रहे
खाई ठोकरें,गिरे,सम्भल कर ,
हमने अपनी मंजिल पाई
अब तो उमर बची चौथाई
ख़ुशी मिली तो कभी मिले गम
उंच नीच में गुजरा जीवन
कभी चबाये चने प्रेम से,
तो फिर कभी जलेबी खाई
अब तो उमर बची चौथाई
कोई ने अड़ ,काम बिगाड़ा
कोई ने बढ़ ,दिया सहारा
दोस्त मिले ज्यादा ,दुश्मन कम ,
हाथ मिले,ना हाथापाई
अब तो उमर बची चौथाई
मोहमाया में ऐसे उलझे
याद ना रहा ,राम को भजे
प्रभु ना सुमरे ,उमर काट दी,
गिनने में बस आना ,पाई
अब तो उमर बची चौथाई
जर्जर होती ,काया पल पल
बहुत जुझारू,मगर आत्मबल
बहुत जरा ने जाल बिछाया ,
लेकिन मुझे हरा ना पाई
अब तो उमर बची चौथाई
अब थकान है,बहुत चले हम
जग ज्वाला में ,बहुत जले हम
अब जल, अस्थि ,फूल बनेगी ,
गंगा में जायेगी बहाई
अब तो उमर बची चौथाई
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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