Monday, August 18, 2025

संतुष्ट जीवन 

जो भी जिसके लिए कर सका,
 मैं वह जी खोल किया है 
मेरे मन में संतुष्टि है ,
मैंने जीवन सफल जिया है 

मिली मुझे जो जिम्मेदारी 
मैंने वह कर्तव्य निभाया 
इसकी नहीं कभी चिंता की
 मैंने क्या खोया क्या पाया 
पथ में बाधाएं भी आई,
 रहा जूझता हर मुश्किल से 
लेकिन काम किया जितना भी 
लगन लगाकर सच्चे दिल से 
इसका है परिणाम सभी ने
 मुझको जी भर प्यार दिया है 
मेरे मन में संतुष्टि है 
मैंने जीवन सफल जिया है 

हालांकि जीवन के पथ पर 
मै एकाकी, चला अकेला 
जो भी मिला मुझे रस्ते में
 मैंने उस पर प्यार उंडेला 
मैंने सबको दिया ही दिया
 बदले में कुछ भी न मांगा 
रहा हमेशा अनुशासन में 
मर्यादा को कभी ना लांघा 
सिद्धांतो पर सदा चला और 
सत पथ का अनुसरण किया है
 मेरे मन में संतुष्टि है 
मैंने जीवन सफल जिया है 

हरदम चला धर्म के पथ पर
 और सत्कर्म रहा मैं करता 
बना सत्य को अपना साथी 
हरदम रहा पाप से डरता
रहा पुण्य की हांडी भरता 
सदा बुराई से मुख मोड़ा 
सेवा भाव सदा रख मन में 
कभी किसी का दिल ना तोड़ा 
जितना भी हो सका हमेशा,
 मैंने सबका भला किया है 
मेरे मन में संतुष्टि है 
मैंने जीवन सफल जिया है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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