गुनगुनाते रहो
भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो
पंछियों की तरह चहचहाते रहो
रोने धोने को ना,है ये जीवन मिला
ना किसी से रखो कोई शिकवा गिला
प्रेम का रस सभी को पिलाते रहो
भुनभुनाओ नहीं ,गुनगुनाते रहो
आएंगे सुख कभी, छाएंगे दुख कभी
तुम रखो हौसला, जाएंगे मिट सभी
तुम कदम अपने आगे बढाते रहो
भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो
देख औरों की प्रगति, न मन में जलो
जीत जाओगे तुम, दो कदम तो चलो
जश्न खुशियों का अपनी मनाते रहो भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो
मुश्किलें सब तुम्हारी,सुलझ जाएगी
जिंदगी हंसते गाते,गुजर जाएगी
तुम त्यौहार हर दिन मनाते रहो
भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो
मदन मोहन बाहेती घोटू
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