आदमी,
जब उतर आता है,
मानसिक धरातल से
शारिरिक धरातल पर
तब औरत रह जाती है सिर्फ मादा,
और आमादा हो जाता है ,
पुरुष पशुता पर
उस समय
राजा और प्रजा में
ज्ञानी अज्ञानी में
धनि और निर्धन में
छोटे और बड़े में
कोई फर्क नहीं रहता
सब एक जैसे होते है
उन्माद के वो क्षण ही
सच्चे समाजवादी क्षण होते है
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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