सच्ची पूजा
मैंने तुझे देवता माना,
लेकिन तू तो पत्थर निकला
हीरा समझ तुझे पूजा था
पर तू तो संगेमर निकला
मैने श्रद्धा और लगन से ,
निशदिन सेवा और पूजा की
चावल अक्षत पुष्प चढ़ाएं
कर्मकांड कुछ बचा न बाकी
मैंने सुना था दानवीर तू ,
बिन मांगे सब कुछ दे देगा
लेकिन तूने नहीं कृपा की
केवल मुझे दिखाया ठेंगा
कैसे करूं प्रसन्न तुझे मैं
मैं बस यही सोच कर निकला
मैने तुझे देवता माना,
लेकिन तू तो पत्थर निकला
मैंने सोचा हो सकता है
त्रुटियां कुछ मैंने की होगी
मेरा भाग्य संवर ना पाया
इसीलिए अब तक हूँ रोगी
ईश्वर प्यार उसे करता है
प्यार करे जो उसके जन को
दीन दुखी की सेवा करना
अच्छा लगता है भगवन को
बात समझ में जब आई तो
मैं फिर राह बदल कर निकला
मैंने तुझे देवता माना ,
लेकिन तू तो पत्थर निकला
मैंने तेरी सेवा से बढ़
ध्यान दिया दीनों दुखियों पर
प्यासे को पानी पिलवाया
और भूखों को भोजन जी भर
तृप्त हुई जब दुखी आत्मा
उन्हें दी आशीषें जी भर
खुशियां मेरे आंगन बरसी
मेरे संकट सभी गए टल
मेरी व्याधि दूर हो गई ,
फल इसका अति सुंदर निकला
मैंने तुझे देवता माना ,
लेकिन तू तो पत्थर निकला
मदन मोहन बाहेती घोटू
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