घोटू के दोहे
1
नए नए हम सीरियल ,देखा करते नित्य
किसको फुर्सत है भला ,पढ़े नया सहित्य
2
ना तो मीठे बोल है,ना सुर है ना तान
चार दिनों तक गूंजते ,फिर खो जाते गान
3
वो गजलों का ज़माना,मन भावन संगीत
अब भी है मन में बसे ,वो प्यारे से गीत
4
साप्ताहिक था धर्मयुग ,या वो हिन्दुस्थान
गीत,लेख और कहानी,भर देते थे ज्ञान
5
कवि सम्मलेन रात भर,श्रोता सुनते मुग्ध
प्रहसन ,सस्ते लाफ्टर ,कर देते है क्षुब्ध
6
अंगरेजी का गार्डन ,फूल रहा है फ़ैल
एक बरस में एक दिन,बोते हिंदी बेल
7
छोटे छोटे दल बने,सब में है बिखराव
तो फिर कैसे आयेगा ,भारत में बदलाव
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
http://blogsmanch.blogspot.com/" target="_blank"> (ब्लॉगों का संकलक)" width="160" border="0" height="60" src="http://i1084.photobucket.com/albums/j413/mayankaircel/02.jpg" />
Wednesday, March 6, 2013
मेरो दरद न जाने कोई
घोटू के पद
मेरो दरद न जाने कोई
हे री मै तो ,अति पछताती ,मेरो दरद न जाने कोई
घायल की गति,घायल जाने ,और न जाने कोई
मंहगाई काटन को दौड़त,निसदिन जनता रोई
खानपान के दाम बढ़ गए ,मंहगी गेस रसोई
रेल किराया ,बहुत बढ़ गया ,पिया मिलन कब होई
सत्ता में जिनको बैठाया ,फिकर क़ा रे नहीं कोई
'घोटू'अब तो तब निपटेंगे ,फीर चुनाव जब होई
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
मेरो दरद न जाने कोई
हे री मै तो ,अति पछताती ,मेरो दरद न जाने कोई
घायल की गति,घायल जाने ,और न जाने कोई
मंहगाई काटन को दौड़त,निसदिन जनता रोई
खानपान के दाम बढ़ गए ,मंहगी गेस रसोई
रेल किराया ,बहुत बढ़ गया ,पिया मिलन कब होई
सत्ता में जिनको बैठाया ,फिकर क़ा रे नहीं कोई
'घोटू'अब तो तब निपटेंगे ,फीर चुनाव जब होई
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
मेरो दरद न जाने कोई
घोटू के पद
मेरो दरद न जाने कोई
हे री मै तो ,अति पछताती ,मेरो दरद न जाने कोई
घायल की गति,घायल जाने ,और न जाने कोई
मंहगाई काटन को दौड़त,निसदिन जनता रोई
खानपान के दाम बढ़ गए ,मंहगी गेस रसोई
रेल किराया ,बहुत बढ़ गया ,पिया मिलन कब होई
सत्ता में जिनको बैठाया ,फिकर क़ा रे नहीं कोई
'घोटू'अब तो तब निपटेंगे ,नफीर चुनाव जब होई
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
मेरो दरद न जाने कोई
हे री मै तो ,अति पछताती ,मेरो दरद न जाने कोई
घायल की गति,घायल जाने ,और न जाने कोई
मंहगाई काटन को दौड़त,निसदिन जनता रोई
खानपान के दाम बढ़ गए ,मंहगी गेस रसोई
रेल किराया ,बहुत बढ़ गया ,पिया मिलन कब होई
सत्ता में जिनको बैठाया ,फिकर क़ा रे नहीं कोई
'घोटू'अब तो तब निपटेंगे ,नफीर चुनाव जब होई
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
प्रियतम ,मैंने बाल रंग लिये
घोटू के पद
प्रियतम,मैंने बाल रंग लिये
प्रियतम ,मैंने बाल रंग लिये
तुम काले बालों की रमणी ,बाल हमारे ,श्वेत रंग लिए
कतराती हो ,तुम जाने में,कहीं घूमने ,मुझे संग लिए
मै पागल प्रेमी तुम्हारा ,प्रीत जताता ,मन उमंग लिए
तुम मुझको समझो हो बूढा बहुत दिन हुए ,मुझे अंग लिए
छोड़ पाजामा ,कुरता ढीला,पहन आधुनिक,वसन तंग लिए
अब मै भी ,जवान दिखता हूँ,चलो घूमने ,मुझे संग लिए
'घोटू'देख ,प्रीत प्रीतम की ,पत्नी लिपटी,प्रीत रंग लिए
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
प्रियतम,मैंने बाल रंग लिये
प्रियतम ,मैंने बाल रंग लिये
तुम काले बालों की रमणी ,बाल हमारे ,श्वेत रंग लिए
कतराती हो ,तुम जाने में,कहीं घूमने ,मुझे संग लिए
मै पागल प्रेमी तुम्हारा ,प्रीत जताता ,मन उमंग लिए
तुम मुझको समझो हो बूढा बहुत दिन हुए ,मुझे अंग लिए
छोड़ पाजामा ,कुरता ढीला,पहन आधुनिक,वसन तंग लिए
अब मै भी ,जवान दिखता हूँ,चलो घूमने ,मुझे संग लिए
'घोटू'देख ,प्रीत प्रीतम की ,पत्नी लिपटी,प्रीत रंग लिए
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मन,तू ,क्यों कूतर सा भागे
घोटू के पद
मन,तू ,क्यों कूतर सा भागे
मन तू,क्यों कूतर सा भागे
मै तेरे पीछे दौडत हूँ,और तू आगे आगे
भोर भये तू शोर मचावत ,घर की देहरी लांघे
तेरी डोर ,हाथ मेरे पर, सधे नहीं तू साधे
इत उत सूँघत ,पीर निवारे,इधर उधर भटकाके
रहत सदा चोकन्ना पर तू,रखे मोहे उलझाके
'घोटू'स्वामिभक्त कहाये,निस दिन नाच नचाके
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मन,तू ,क्यों कूतर सा भागे
मन तू,क्यों कूतर सा भागे
मै तेरे पीछे दौडत हूँ,और तू आगे आगे
भोर भये तू शोर मचावत ,घर की देहरी लांघे
तेरी डोर ,हाथ मेरे पर, सधे नहीं तू साधे
इत उत सूँघत ,पीर निवारे,इधर उधर भटकाके
रहत सदा चोकन्ना पर तू,रखे मोहे उलझाके
'घोटू'स्वामिभक्त कहाये,निस दिन नाच नचाके
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
घोटू के सवैये-रसखान का अंदाज
घोटू के सवैये-रसखान का अंदाज
1
काँपे क्लर्क और चपरासी,बाबू, और अफसर घबराये
व्यापारी,सप्लायर ,ठेकेदार ,रोज ही शीश नमाये
जा की एक डांट से थर थर ,काँपे लोग,सहम सब जाये
ताहे ससुर की छोहरिया ,अपनी उंगली पर नाच नचाये
2
माल में ढून्ढयो,बजारन , गलियन ,बाग़ बगीचे सब बिचरायन
कालिज को ले नाम गयो पर पहुँचो न ,प्रिंसिपल बतलायन
ढूँढत ढूँढत हार गयो ,'घोटू' बतलायो न ,लोग, लुगायन
देख्यो दुरयो वह पीज़ा हट में,गर्ल फ्रेंड संग मौज उडायन
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
1
काँपे क्लर्क और चपरासी,बाबू, और अफसर घबराये
व्यापारी,सप्लायर ,ठेकेदार ,रोज ही शीश नमाये
जा की एक डांट से थर थर ,काँपे लोग,सहम सब जाये
ताहे ससुर की छोहरिया ,अपनी उंगली पर नाच नचाये
2
माल में ढून्ढयो,बजारन , गलियन ,बाग़ बगीचे सब बिचरायन
कालिज को ले नाम गयो पर पहुँचो न ,प्रिंसिपल बतलायन
ढूँढत ढूँढत हार गयो ,'घोटू' बतलायो न ,लोग, लुगायन
देख्यो दुरयो वह पीज़ा हट में,गर्ल फ्रेंड संग मौज उडायन
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मै नहीं माखन खायो
घोटू के पद
मै नहीं माखन खायो
बीबीजी मोरी ,मै नहीं माखन खायो
आध किलो माखन को टिक्को,कल ही तो थो आयो
आज तोहे वो कम लागत है,शक है मैंने खायो
मोहे तो माखन वर्जित है,क्लोरोस्टाल बढायो
होय सकत है ,चूहा खायो,या गर्मी पिघलायो
तेरे माखन से गालन से ,अब तो मन बहलायो
'घोटू'यह सुन बीबीजी खुश,ले उर कंठ लगायो
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मै नहीं माखन खायो
बीबीजी मोरी ,मै नहीं माखन खायो
आध किलो माखन को टिक्को,कल ही तो थो आयो
आज तोहे वो कम लागत है,शक है मैंने खायो
मोहे तो माखन वर्जित है,क्लोरोस्टाल बढायो
होय सकत है ,चूहा खायो,या गर्मी पिघलायो
तेरे माखन से गालन से ,अब तो मन बहलायो
'घोटू'यह सुन बीबीजी खुश,ले उर कंठ लगायो
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सर ऊपर उठाना है
सर ऊपर उठाना है
अगर आवाज को अपनी ,बुलंदी से सुनाना है
अगर सोये हुओ को जो,तुम्हे फिर से जगाना है
बिना गर्दन किये ऊंची,न मुर्गा बांग दे सकता ,
तुम्हे भी आगे बढ कर ,अपना सर ऊपर उठाना है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
अगर आवाज को अपनी ,बुलंदी से सुनाना है
अगर सोये हुओ को जो,तुम्हे फिर से जगाना है
बिना गर्दन किये ऊंची,न मुर्गा बांग दे सकता ,
तुम्हे भी आगे बढ कर ,अपना सर ऊपर उठाना है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
होली के रंग-बुजुर्गों के संग
होली के रंग-बुजुर्गों के संग
हम बुजुर्ग है ,एकाकी है
पर अब भी उमंग बाकी है
हंसी खुशी से हम जियेंगे,
जब तक ये जीवन बाकी है
अपनों ने दिल तोडा तो क्या ,
हमउम्रों का संग बाकी है
बहुत लड़ लिए हम जीवन में,
अब ना कोई जंग बाकी है
मस्ती में बाकी का जीवन,
जी लेने के ढंग बाकी है
आओ मौज मनाये मिलकर ,
होली वाले रंग बाकी है
ऐसे होली रंग में भीजें,
सूखा कोई न अंग बाकी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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