मुहावरों में माहिर-नेताजी की तक़रीर
दोस्तों,जो भौंकते है,वो नहीं है काटते,
हम है वो जो भोंकते भी, और काटे भी बहुत
लोग कहते ,गरजते बादल बरसते है नहीं,
हम गरजते भी बहुत है,और बरसते भी बहुत
तेल नौ मन हो न हो पर नचाते है राधिका,
कितना भी आँगन हो टेड़ा,हम नचाना जानते
सच है जब चलता है हाथी,तो है कुत्ते भौंकते,
हम वो हाथी,भौंकते कुत्तों जो चिंघाड़ते
राई का पर्वत बनाना,खेल बांयें हाथ का,
ऊँट ये जीरा न खाता,नोट की ये बोरियां
चोर के घर मोर की बातें सुनी है आपने,
चोर हम वो,मोर के घर जा कर करते चोरियां
चोर की दाढ़ी में तिनका ,आयेगा कैसे नज़र,
हम तो है वो चोर जो कि दाढ़ी रखते ही नहीं
गलत करके रख दिया है,हमने ये मुहावरा,
नाग जो फुंकारते है ,वो कभी डसते नहीं
घुसे काजल कोठरी में,बिना कालिख लगाये,
कायले कि दलाली में हाथ ना काले किये
लूट का सब माल हमने ,पास अपने ना रखा ,
सभी पैसे हमने स्विस के बेंक में भिजवा दिये
आधुनिक हैं,नहीं है,हम तो लकीरों के फ़कीर,
इसलिए छोड़ी फकीरी,अमीरी से हम जिये
आपने तो हमको दी थी,एक बस केवल लकीर,
बहुत सारे जीरो हमने उसके आगे भर दिये
कम्पूटर लीजिये,लेपटोप,टी वी लीजिये,
दो रुपय्ये किलो चांवल,फ्री बिजली लीजिये
आपसे बस ये हमारी,इतनी सी दरख्वास्त है,
चाहे कुछ भी लीजिये पर वोट हमको दीजिये
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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Thursday, September 13, 2012
इजहारे इश्क-बुढ़ापे में
इजहारे इश्क-बुढ़ापे में
दिल के कागज़ पर लिखा है,नाम केवल आपका
ध्यान मन में लगा रहता है हरेक पल आपका
क्या गजब का हुस्न है और क्या अदाएं आपकी,
घूमता आँखों में रहता, चेहरा चंचल आपका
हम को दीवाना दिया है कर तुम्हारी चाह ने ,
सोने के साँचें से आया , ये बदन ढल आपका
बन संवर के ,निकलती हो ,जब ठुमकती चाल से,
दिल करे दीदार करता रहूँ दिन भर आपका
श्वेत केशों पर न जाओ,उम्र में क्या रखा,
प्यार देखो,दिल जवां है,और पागल आपका
बात सुन वो हँसे,बोले आप है सठिया गये,
जंच रहा है ,नहीं हमको ,ये प्रपोजल आपका
फिर भी ये तारीफ़ सुन कर,हमको है अच्छा लगा,
तहे दिल से शुक्रिया है,डियर 'अंकल' आपका
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
दिल के कागज़ पर लिखा है,नाम केवल आपका
ध्यान मन में लगा रहता है हरेक पल आपका
क्या गजब का हुस्न है और क्या अदाएं आपकी,
घूमता आँखों में रहता, चेहरा चंचल आपका
हम को दीवाना दिया है कर तुम्हारी चाह ने ,
सोने के साँचें से आया , ये बदन ढल आपका
बन संवर के ,निकलती हो ,जब ठुमकती चाल से,
दिल करे दीदार करता रहूँ दिन भर आपका
श्वेत केशों पर न जाओ,उम्र में क्या रखा,
प्यार देखो,दिल जवां है,और पागल आपका
बात सुन वो हँसे,बोले आप है सठिया गये,
जंच रहा है ,नहीं हमको ,ये प्रपोजल आपका
फिर भी ये तारीफ़ सुन कर,हमको है अच्छा लगा,
तहे दिल से शुक्रिया है,डियर 'अंकल' आपका
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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