Saturday, August 10, 2024

बूढ़ों की लोरी 


बिस्तर पर लेटें हैं बूढ़ा और बुढ़िया

 इनको सुलाने को आ जा तू निंदिया 


कभी दौरा खांसी का बुढिया को आता  

तो बूढ़ा उठ कर के पानी पिलाता 

कभी दर्द बूढ़े के पैरों में आया

पेनबाम बुढिया ने झट से लगाया 

कभी याद करते पुरानी वो बातें 

लाख जतन करते, सो नहीं पाते 

कैसे भी इनको ,सुला जा तू निंदिया 

इनको सुलाने को आजा तू निंदिया 


बूढ़ा उठ के बार बार बाथरूम जाता 

तकिए को बाहों में अपनी दबाता 

करवट बदलते ही रहते हैं दोनों 

बस ऐसे जगते ही रहते हैं दोनों 

कभी  पाठ हनुमान चालीसा करते 

कभी राम का नाम रह रह के जपते 

इनको भी सपने दिखा जा तू निंदिया इनको सुलाने आ जा तू निंदिया 


मदन मोहन बाहेती घोटू

कैसे मानू


 कैसे बात तुम्हारी लूं मैं मान जी 

शिवजी के हैं अवतार हनुमान जी 


प्रभु प्रकटे जब बन कर राम 

शंकर आए बन हनुमान 

रहे पहाड़ों में शिव शंकर 

तरु शाखा पर रहते वानर 

वानर नग्न ,मगर वाघांबर

शिवजी का परिधान जी 

कैसे बात तुम्हारी लूं मैं मान जी 

शिवजी के है अवतार हनुमान जी 


भूत पिशाच  शिवा के संगी 

इन्हें भगाए पर बजरंगी 

भूत पिशाच निकट नहीं आवे 

महावीर जब नाम सुनावे 

मुंडमाला को धारण करते

हैं शंकर भगवान जी 

कैसे बात तुम्हारी लूं मैं मान जी 

शिवजी के हैं अवतार हनुमान जी 


रावण शिव का भक्त परम था 

शिव के कारण उसमें दम था 

किंतु राम का वह दुश्मन था 

सीता जी का किया हरण था 

और राम के सच्चे सेवक,

सदा रहे हनुमान जी 

कैसे बात तुम्हारी लूं मैं मान जी 

शिवजी के हैं अवतार हनुमान जी 


शिवजी ने दो ब्याह रचाये 

ब्रह्मचारी हनुमान कहाये 

शिवजी चलते हैं नंदी पर 

डाल डाल पर उछले वानर 

एक तपस्वी,एक उपद्रवी

 कुछ भी नहीं समान जी 

कैसे बात तुम्हारी मैं लूं मान जी 

शिव जी के हैं अवतार हनुमान जी 


मदन मोहन बाहेती घोटू

हम हैं भक्त शिव शंकर के 


तेजोमय शिव प्रचंड 

मस्तक पर है त्रिपुंड 

और पुत्र वक्रतुंड जानिए 


पहने हैं वाघांबर 

चंद्र सुशोभित है सर 

ऐसे हैं गंगाधर मानिए 


गले पड़ी सर्पमाल 

और भाल है विशाल 

नंदी पर हैं सवार पहचानिए 


डमरू स्वर डम डम डम 

संग त्रिशूल है हरदम 

भोले को बम बम पुकारिए 


प्रकटी है गंगा जिनके सर से 

हम तो भगत है शिव शंकर के 

हर कोई बोले ,बम बम भोले 

प्रेम से बोले,बम बम भोले 


शिव शंकर  अविनाशी 

काशी के भी वासी 

भव्य तेज राशि ,पर भोले हैं 


उनसे हर कोई डरे 

यह तांडव नृत्य करें 

नेत्र तीसरा जब भी खोले हैं 


हिल जाते भू अंबर 

बन जाते प्रलयंकर 

आंखों से बरसाते शोले हैं 


जब हो जाते प्रचंड 

कर देते खंड-खंड 

शांत हो के फिर बनते भोले है


जिसे सब रहते हैं डर-डर के 

हम है भगत शिव शंकर के

 हर कोई बोले , बम बम भोले 

 प्रेम से हर बोले,बम बम भोले 


मदन मोहन बाहेती घोटू