सितम-सर्दियों का
पांच चित्र
१
हो गए हालात है कुछ इस तरह के धूप के ,
कभी दिखलाती है चेहरा ,कभी दिखलाती नहीं
बहाना ले सरदी का ज्यों ,कामवाली बाइयां ,
या तो आती देर से है या कि फिर आती नहीं
२
मुंह छिपाते फिर रहे हैं,आजकल सूरज मियां ,
सर्दियों में देख लो, वो भी बेकाबू हो गए
आते भी है देर से और जाते है जल्दी चले ,
लगता है सरकारी दफ्तर के वो बाबू हो गए
३
एक तरफ आशिक़ है बिस्तर ,नहीं हमको छोड़ता ,
एक तरफ माशूक़ रजाई ,हम पर है छाई हुई
आपको हम क्या बताएं आप खुद ही समझ लो ,
इस तरह शामत हमारी ,सरदी में आयी हुई
४
होता था दीदार जी भर ,जिस्म का जिनके सदा,
तरसते है देखने को भी हम सूरत आपकी
ढक लिया है इस तरह से ,तुमने अपने आपको,
नज़र आती सिर्फ आँखे, नोक केवल नाक की
५
तेल ,घी जमने लगे है ,दही पर जमता नहीं ,
मारे ठिठुरन,हाथ पाँव जम के ठन्डे पड़ गए
पीते पीते चाय का प्याला बरफ सा हो गया ,
सर्दियों के सितम देखो ,किस कदर है बढ़ गए
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पांच चित्र
१
हो गए हालात है कुछ इस तरह के धूप के ,
कभी दिखलाती है चेहरा ,कभी दिखलाती नहीं
बहाना ले सरदी का ज्यों ,कामवाली बाइयां ,
या तो आती देर से है या कि फिर आती नहीं
२
मुंह छिपाते फिर रहे हैं,आजकल सूरज मियां ,
सर्दियों में देख लो, वो भी बेकाबू हो गए
आते भी है देर से और जाते है जल्दी चले ,
लगता है सरकारी दफ्तर के वो बाबू हो गए
३
एक तरफ आशिक़ है बिस्तर ,नहीं हमको छोड़ता ,
एक तरफ माशूक़ रजाई ,हम पर है छाई हुई
आपको हम क्या बताएं आप खुद ही समझ लो ,
इस तरह शामत हमारी ,सरदी में आयी हुई
४
होता था दीदार जी भर ,जिस्म का जिनके सदा,
तरसते है देखने को भी हम सूरत आपकी
ढक लिया है इस तरह से ,तुमने अपने आपको,
नज़र आती सिर्फ आँखे, नोक केवल नाक की
५
तेल ,घी जमने लगे है ,दही पर जमता नहीं ,
मारे ठिठुरन,हाथ पाँव जम के ठन्डे पड़ गए
पीते पीते चाय का प्याला बरफ सा हो गया ,
सर्दियों के सितम देखो ,किस कदर है बढ़ गए
मदन मोहन बाहेती'घोटू'