अहमियत-बीबी की
सुबह उठ कर पत्नी को पुकारते है,सुनो चाय लाओ
थोड़ी देर बाद फिर आवाज़,सुनो नाश्ता बनाओ
क्या बात है ,आज अभी तक अखबार नहीं आया है
जरा देखो तो ,किसी ने दरवाजा खटखटाया है
अरे आज बाथरूम में ,साबुन नहीं है क्या
और देखो तो,कितना गीला पड़ा है तौलिया
अरे ,ये शर्ट का बटन टूटा है, जरा लगा दो
और मेरे मौजे कहाँ है,जरा ढूंढ के ला दो
लंच के डब्बे में बनाये है ना,आलू के परांठे
दो ज्यादा रख देना,मिस जूली को है भाते
देखो अलमारी पर कितनी धुल जमी पड़ी है
लगता है कई दिनों से डस्टिंग नहीं की है
गमले में पौधे सूख रहे है,क्या पानी नहीं डालती हो
दिन भर करती ही क्या हो बस गप्पे मारती हो
शाम को डोसा खाने का मूड है,बना देना
बच्चों की परीक्षाये आ रही है,पढ़ा देना
सुबह से शाम तक कर फरमाईशें नचाते है
चैन से सोने भी नहीं देते,सताते है
दिनभर में बीबीयाँ कितना काम करती है
ये तब मालूम पड़ता है जब वो बीमार पड़ती है
एक दिन में घर अस्त व्यस्त हो जाता है
रोज का सारा रूटीन ही ध्वस्त हो जाता है
आटे दाल का सब भाव पता पड़ जाता
बीबी की अहमियत क्या है ,ये पता चल जाता
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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Monday, April 9, 2012
कारण -गरमी का
कारण -गरमी का
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चार छुट्टियाँ मिलाती,मर्दों को महीने में
औरतें अधिकतर ही ,छुट्टियाँ मनाती है
तारे भी कई बार ,तड़ी मार देतें है,
अमावास को चंदा की भी छुट्टी आती है
चार माह बरसते है ,बरस भर में बदल कुल,
और हवा अक्सर ही ,छुट्टी कर जाती है
काम बिना छुट्टी कर,सूरज जब मन ही मन,
जलता है ,तो किरणों में ,फिर गरमी आती है
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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