Sunday, February 14, 2016

              फ़िक्र

फ़िक्र कर रहे हो तुम उसकी,जिसे तुम्हारी फ़िक्र नहीं है
जिसके लब पर,भूलेभटके ,कभी तुम्हारा  जिक्र  नहीं है
टुकड़ा दिल का ,निभा रहा है ,बस ऐसे संतान धर्म वह
हैप्पी होली या दिवाली,या फिर हैप्पी जन्मदिवस  कह
तुम्हारे ,दुःख ,पीड़ा,चिंता ,बिमारी का ख्याल नहीं है
तुम कैसे हो,किस हालत में ,कभी पूछता ,हाल नहीं है
आत्म केंद्रित इतना है सब रिश्ते नाते भुला दिए है
जिसने अपनी ,जननी तक को ,सौ सौ आंसूं रुला दिए है
कहने को है अंश तुम्हारा ,पर लगता है बदला,बदला
या फिर तुमसे ,पूर्व जन्म का,लेता है शायद वो बदला
भूल गया सब रिश्ते नाते ,बस  मैं हूँ और मेरी मुनिया
दिन भर व्यस्त कमाई करने में सिमटी है उसकी दुनिया
इतना ज्यादा ,हुआ नास्तिक,ईश्वर में विश्वास नहीं है
अहम ,इस तरह ,उस पर हाबी ,जो वो सोचे ,वही सही है
आ जायेगी ,कभी सुबुद्धि ,बैठे हो तुम आस लगाये
कोई उसको क्या समझाए ,जो कि समझना कुछ ना चाहे
तुम कितनी ही कोशिश करलो,उसको पड़ता फर्क नहीं है
फ़िक्र कर रहे हो तुम उसकी ,जिसे तुम्हारी फ़िक्र नहीं है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
         गुमसुम गुमसुम प्यार

जीवन की भागभागी में,गुमसुम गुमसुम प्यार हो गया
एक साल में एकगुलाब बस ,यही प्यार व्यवहार हो गया
कहाँ गयी  वो  छेडा  छेङी , वो मदमाते ,रिश्ते चंचल
कभी रूठना,कभी मनाना ,कहाँ गई  वो मान मनौव्वल 
वो छुपछुप कर मिलनाजुलना ,बना बना कर ,कई बहाने
चोरी चोरी ,ताका झाँकी ,का अब मज़ा कोई ना जाने
एक कार्ड और चॉकलेट बस,यही प्यार उपहार हो गया
जीवन की भागा भागी में ,गुमसुम गुमसुम प्यार होगया
नहीं रात को तारे गिनना,नहीं प्रिया, प्रियतम के सपने
सब के सब ,दिन रात व्यस्त है, फ़िक्र कॅरियर की ले अपने
एक लक्ष्य है ,बस धन अर्जन ,शीघ्र कमा सकते हो जितना
करे प्यार की चुहलबाज़ियाँ ,किसके पास वक़्त है इतना
प्यार ,नित्यक्रम ,भूख मिटाने को तन की,व्यवहार हो गया
जीवन की भागा भागी में,गुमसुम गुमसुम प्यार  हो गया

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
        अपना अपना नज़रिया

सूरज अपने पूर्ण यौवन पर था,
रोशनी बरसा रहा था
तभी एक मुंहजोर बादल ने ,
उसे ढक  लिया
धूप ,घबरा कर ,ऐसे छुप गयी ,
जैसे अपने प्रेमी संग ,
खुलेआम ,रंगरेलियां मनाते हुए ,
पुलिस ने पकड़ लिया
एक मनचला बोला ,
ऐसा लगता है जैसे ,
किसी रूपसी प्रेयसी को ,
उसके प्रेमी ने  बाहों में कस लिया है
मुझे लगा कि किसी ,
परोपकार करते हुए ,सज्जन पुरुष को,
अराजक तत्वों के,
 तक्षक ने  डस लिया है
दार्शनिक ने कहा ,
जैसे जीवन में सुख दुःख ,
हमेशा आते ही रहते है
उसी तरह ,हर चमकते सूर्य पर ,
बादल छाते ही रहते है
झगड़ालू बोला,
इस बादल ने मेरे घर में आते,
प्रकाश को अवरुद्ध किया है
यह कार्य ,मेरे मौलिक अधिकारों के ,
विरुद्ध किया है
पसीने में तरबतर राही को,
थोड़ी सी छाँव मिली ,
तो आनंद की प्रतीति हुई
किसी बावरे कवि को,
बादल की कगारों  से निकलती ,
रश्मियों को देख कर ,
कंचुकी में से झांकते ,
यौवन की अनुभूती हुई
ये भी हो सकता है  कि संध्या ने ,
अपने प्रिय को जल्दी बुलाने के लिए ,
प्रेम की पाती लिख कर,
भेजा संदेशा है
या सूर्यलोक के सफाई कर्मियों ने ,
समय पर तनख्वाह न मिलने पर,
ढेर सा कचरा ,सूरज पर फेंक दिया ,
मुझे ऐसा अंदेशा है
ये भी हो सकता है कि ,
सूर्य के तेज से घबरा कर,विरोधी दल,
उसे काले झंडे दिखा रहे हो
और अपने अस्तित्व का ,
आभास करवा रहे हो
तभी केजरीवाल ने ,
प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलवा कर बयान  दिया,
ये केंद्र सरकार ,
बार बार बादलों को भेज कर ,
मेरे चमकीले कार्यों को ,
ढांकना चाहती है ,
इसलिए मैं राष्ट्रपति जी को ज्ञापन दूंगा
कि आसमान का प्रशासन भी ,
मुझे सौंप दिया जाय ,
मै इसे दो दिन में ,ठीक कर दूंगा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'