Monday, June 15, 2015

अग्नि और जलन

      अग्नि और जलन

हमारी ये काया , तत्वों से है बनी
जिनमे से एक तत्व है अग्नी
अग्नि की तपिश से चेतना है तन में
और रोज रोज की हलचल है जीवन में
जब तक तपिश है,तन में प्राण है
वरना आदमी,मुर्दे के समान है
जलना एक रासायनिक क्रिया है,
जिस में होता है ऊर्जा का विसर्जन
जलना एक मानसिक क्रिया भी है,
जिसमे लोगों को होती है मन में जलन
 भले ही धुंवा और लपट
दोनों नहीं होते है प्रकट
पर अंदर ही अंदर सब सुलगते रहते है
गौर  से  देखोगे तो सब जलते रहते है   
कोई किसी की चाह में जलता है
कोई प्यार की राह में जलता है
कोई सौतिया डाह में जलता है
कोई ख्वामख्वाह में जलता है
किसी को जलाती है मन की चिंताएं
किसी को विरह की आग है जलाये  
कोई किसी की खुशनसीबी से जलता है
कोई किसी की सुन्दर बीबी से जलता है
कोई किसी की तरक्की देख जलता है
जलन का खेल जीवन भर चलता है
अग्नि ही भोजन पकाती है
और जठराग्नि ,भोजन से ही बुझ पाती  है
कामाग्नि जब तन में भड़कती है ,
तो कामाग्नि ही उसे बुझा पाती है
मतलब आग से सिर्फ आग लगाई ही नहीं जाती ,
बुझाई भी जाती है
मंदिरों में भगवान की आरती ,आग से ही उतरती है
हवन कर्म आदि में आग ही जलती है
अग्नि के सात  फेरे ,
जनम भर का बंधन बाँध देते है
और अंतिम संस्कार में भी आग ही देते है
हमारे दो प्रमुख त्योंहार
होली और दिवाली मनाये जाते है हर साल
होली में होलिका दहन होता है
दीवाली को दीप का पूजन होता है
दीपक जल कर उजाला देते है ,रास्ता बताते है
चाहे ख़ुशी हो या गम,
अग्नि देवता हमेशा पूजे जाते है
लकड़ी जलती है तो देती है लपट
फिर कोयला बनता है जो देता है दहक
और इस तरह सबको  जलाती आग है
पर उसकी अंतिम नियति ,केवल राख है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन है

      कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन है

लेडीज वस्तुएं छोटी सी ,अक्सर औरत के मन भाती
छोटी छतरी,छोटा रुमाल,लेडीज आइटम  कहलाती
छोटी होती लेडीज घड़ी ,छोटी चोली ,छोटी बिकनी
या छोटी छोटी 'हॉट पेंट'पहना करती स्कर्ट मिनी 
खुश छोटे छोटे वस्त्र पहन ,जिससे तन अधिक उजागर हो
पर चाहे बड़ी बड़ी आँखें,और बड़े बाल,जो सुन्दर हो
वो कमर चाहती पतली सी ,पर उन्नत उभरा वक्षस्थल
लम्बी नाजुक ,पतली बाहें,और हाथ कमल जैसे कोमल
कुछ छोटी चीजें उन्हें रुंचें ,कुछ चीजें बडी ,उन्हें भाये
छोटी छोटी सी बातों पर ,वो  मोटे आंसूं ढलकाये
थोड़ा सा छोटा प्यार दिखा ,वो लूट लिया करती मन है 
छोटा या बड़ा पसंद उन्हें ,कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन है

घोटू

क्या बेलेंस बनाता भगवन

        क्या बेलेंस बनाता भगवन

कैसा तू बेलेंस बना कर रखता भगवन
चिंताएं भी दे  देता, जिसको देता धन
परेशान ,बैचैन  हमेशा वो होता  है
निर्धन टांग पसार चैन से पर सोता है
कोई निपट गंवार,लक्ष्मी उस पर बरसे
कोई अति विद्वान मगर पैसों को तरसे
कोई अति बेडौल,प्रिया पर स्वर्ण सुंदरी
कोई सुगढ़,सुडौल,मिले बेमेल सहचरी
कोई की पत्नी नाटी  है तो पति  लम्बा
कोई संत ,फ़कीर,उसे मिल जाती रम्भा
कर देता है दोनों का 'एवरेज ' बराबर
कर 'एडजस्ट ',साथ रहते दोनों जीवनभर
अरे और तो और गढ़ी जब मानव काया
पंच तत्व का इतना सुन्दर मेल बिठाया
अगन तत्व को यदि भड़काता तत्व पवन है
तो जल तत्व ,तुरंत कर देता अग्नि शमन है
अग्नि लपटें ,यदि आकाश तत्व में उड़ती
बुझ जाती जब धरा तत्व की माटी पड़ती
एक दूसरे पर करते  है ,सभी नियंत्रण
कैसा तू बेलेंस बना कर रखता भगवन

घोटू

मचा भूचाल देती है

       मचा भूचाल देती है

हवा में सांस हम लेते , हवा ही प्राण होती है
मगर जब उग्र हो जाती ,तो वो तूफ़ान होती है 
काम आता है हरेक पल ,है जल जीवन ही कहलाता
मगर ढाता कहर सब पर,वो जब सैलाब बन जाता
तपस अग्नि की जीवन है,पका देती,पचा देती
मगर जब वो ,दहकती है,सभी कुछ भस्म कर देती 
बीबियाँ होती है प्यारी ,पति को प्यार  देती है
मगर नाराज जब होती,मचा भूचाल  देती है

घोटू 

बीबी आगे कौन टिका है ?

         बीबी आगे कौन टिका है ?

टिक टिक कितना कहती घड़ियाँ ,
                 किन्तु समय क्या कभी टिका है
कोई कभी भी बदल न पाया ,
                  जो कि भाग्य में गया लिखा है
अच्छे दिन हो या कि बुरे दिन,
                      सबके ही जीवन में आते ,
गिर गिर उठना और संभलना ,
                     सब कुछ देता वक़्त  सिखा है  
 एक दिन की छुट्टी ले लेता,
                     चतुर चन्द्रमा  अम्मावस को ,
पर सूरज  ड्यूटी का पक्का ,
                        छुट्टी लेते   नहीं दिखा है
 कोई कितना तीसमारखां ,
                      बने , दबदबा हो दफ्तर  में,
पर भीगी बिल्ली है घर में ,
                       बीबी आगे कौन  टिका  है ?

घोटू