Friday, September 13, 2013

माँ की ममता

    माँ की ममता

ये ममता भी अजब चीज होती है
माँ,अपनी औलाद के लिए हरदम क्यों रोती है
औलाद ,लायक हो या नालायक
बूढी धुंधली आँखों से ,प्रतीक्षा करती रहती है,
वो जब तक ना आये,तब तक
वो बेटा ,जो अपने व्यसन के चक्कर में ,
ले गया था ,उसका मंगलसूत्र छीन कर
उसने कुछ खाया पीया या भूखा होगा ,
इसी चिंता में खोयी रहती है हरपल
उसकी सुख शान्ति की दुआ करती है
रोज जीती है,रोज मरती है
वो बेटा ,जो उसके पति की अंतिम निशानी ,
उसकी चूड़ी,जिस पर सोने का पतरा जडा  था
जिसके लिए वो बहुत दिनों से पीछे पडा था
एक दिन मारपीट कर के छीन ले गया था
और घर को छोड़ कर भाग गया था
वो बेटा ,जिसकी हर हरकत में हैवानी है
जिस का खून हो गया पानी है
उसकी याद में आंसू बहाती है
उसके  लौटने की दुआ मनाती है
इसलिए जब खाना बनाती है
ये सोच कर कि वो कहीं अचानक ,
लौट कर ना आ जाए ,
उसके लिए दो रोटी बचाती है
उसकी याद में दिनरात रोती  है
ये ममता भी अजब चीज होती है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

स्कर्ट अवतरण

         {आज राधा अष्ठमी है -राधाजी के और आज के
          फेशन से जुडी एक कल्पना प्रस्तुत है }
                       स्कर्ट अवतरण

          राधारानी भोलीभाली
          बरसाना की रहने वाली
         और दूसरी और कन्हैया
          नटखट थे अति चोर कन्हैया
          फोड़ी हंडिया ,माखन खाते
          चीर हरण करते,छुप जाते
           सब गोपी डरती थी उनसे
           मगर प्यार करती थी उनसे 
          चली होड़ उनमे आपस में
          कौन करे कान्हा को बस में    
           मगर किसी को लिफ्ट नहीं दी
           कान्हा की आदत अजीब थी
           राधाजी का हुआ बर्थडे
           पहने नए नए सब कपडे
           रंगबिरंगी चुनरी अंगिया 
           ऊंची ऊंची पहन घघरिया
           सहम सहम कर धीरे धीरे
            चली खेलने ,जमुना तीरे
             नहां रही  जमुना में सखियाँ
            मगर पडी कान्हा पर अँखियाँ
           बस फिर तो घबराई  राधा
            चीर हरण का डर  था ज्यादा
            नए वस्त्र का ख्याल छोड़ कर
            जमुना में घुस गयी दौड़ कर
            ऊंची घघरी  नयी नयी थी
             'सेन्फ्राइज्ड' की छाप नहीं थी
             जल से बाहर निकली रधिया
              सिकुड़ गयी थी नयी घघरिया
              घुटनों तक ऊंची चढ़  आयी
              पर कान्हा मन इतनी भायी
              कि राधा पर रीझ गए वो
              और प्रेम रस भीज गए वो
              उन दोनों का प्यार छुपा ना
              राज गोपियों ने जब जाना
              शुरू हो गया कम्पीटीशन
              ऊंची घघरी वाला फेशन
              फैला ,अपरम्पार हो गया
              और स्कर्ट  अवतार हो गया   
 
 मदन मोहन बाहेती'घोटू'