बीज का बीज गणित
पहले उपजी कुछ लतिकाये
तीव्र गति से जो बढ़ जाए
अल्पकाल में दे देती फल
खरबूजा लौकी या परमल
लेकिन एक चीज है इनमें
ढेरों बीज भरें हैं सब में
फिर ऐसी कुछ उगी झाड़ियां
जिनमें लगी बहुत सी फलिया
हरेक फली में चंद बीज थे
स्वाद भरे थे और लजीज थे
जैसे मूंग मटर और अरहर
दलहन बनकर दले गए पर
उगे बीज फिर कुछ तिलहन बन
दिया तेल करने को पोषण
फिर कुछ ऐसे वृक्ष उगाये
बड़े हुए, हरियाली लाए
जिनमें शीतल हवा छांव थी
पंछी के भी लिए ठांव थी
फैल हुए यह बहुत घनेरे
कुछ में फल आए बहुतेरे
जैसे जामुन बेर आम्रफल
सब में एक बीज था केवल
बीज बाद में ऐसे आए
जो माटी में गए उगाए
पर उनका हर फल ऐसा था
जो कि स्वयं बीज जैसा था
मक्का गेहूं बाजरा आया
हमने अन्न कहा और खाया
अंतर्मुखी बीज कुछ आए
जो बाहर तो ना दिखलाएं
लेकिन जो माटी में दब कर
फैल फूल कर,बढ़े निरंतर
लगे चाहने जिनको हम सब
गाजर मूली आलू अदरक
बीज बनाए फिर ईश्वर ने
कुछ नारी में और कुछ नर में
आपस में जब यह है मिलते
बाल बालिका बनकर खिलते
एक अकेला बीज फले ना
बिना मिले पर काम चले ना
यह प्रकृति का बीज चक्र है
क्या है क्यों है नहीं तर्क है
हमें समझ ना बिल्कुल आता
सोचो उतना उलझा जाता
घोटू