जरा सी रोशनी दे दो
मोहब्बत की अगर मुझको,जरासी रोशनी दे दो
मेरे अंधियारे जीवन में ,उजाला फैल जाएगा
अगर जो देख लोगी तुम,ज़रा सा मुस्करा कर के,
जलेंगे सैंकड़ों दीपक , मेरा घर जगमगाएगा
चढ़ाते लोग मंदिर में ,चढ़ावा मूर्तियों पर है ,
मगर वो दक्षिणा के रूप में ,पंडित को मिलते है
फैलती हर तरफ है भीनी भीनी ,महकती खुशबू,
भले ही फूल कोई और के गुलशन में खिलते है
उधर अंगड़ाई तुम लोगी ,गिरेगी बिजलियाँ हम पर,
बनेगी जान पर मेरी,तुम्हारा कुछ न जाएगा
मोहब्बत की मुझको,जरा सी रोशनी दे दो,
मेरे अंधियारे जीवन में ,उजाला फैल जाएगा
गुलाबी गाल की रंगत ,रसीले होंठ है प्यारे,
नशीला रूप तुम्हारा , मुझे करता दीवाना है
दिखा कर ये अदाएं छोड़ दो ,दिल को जलाना तुम,
तुम्हे मालूम ना ये रूप कितना कातिलाना है
निहारा मत करो तुम आईने में ,सज संवर कर यूं
आइना सह न पायेगा ,बिचारा टूट जाएगा
मोहब्बत की अगर मुझको ,जरासी रोशनी दे दो,
मेरे अंधियारे जीवन में ,उजाला फ़ैल जाएगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'