प्रतिशत
सारे नेता, सारे अफसर, रहते हैं बस इस जुगाड़ में
उनका प्रतिशत जाए उन्हें मिल,बाकी दुनियाजाएभाड़में
यह प्रतिशत वाली बीमारी इतनी ज्यादा फैल रही है
हर कोई इसका शिकार है जनता इसको खेल रही है चपरासी बाबू या अफसर पंच विधायक मंत्री नेता
काम कराने का कोई भी बस अपना कुछ प्रतिशत लेता सड़क बनाने से लेकर के ,बड़े-बड़े रक्षा के सौदे
हमने देखा शत-प्रतिशत ये, बिना प्रतिशत के ना होते साहब जी को नगद चाहिए नेता मांगी कहकर चंदा बहुत अधिक कब फैल रहा है ,सभी तरफ ये गोरखधंधा काम कराना प्रतिशत दे दो,सब कुछ नगद न कुछ उधार में
सारे नेता सारे अफसर ,रहते हैं बस इस जुगाड़ में
उनका प्रतिशत जाए उन्हें मिल बाकी दुनिया जाए भाड़ में
खुद को कहें देश का सेवक ,जड़े देश की खोद रहे हैं निजी स्वार्थ की सिद्धि करने, यह प्रगति को रौंद रहे हैं घटिया माल खरीद रहे हैं, गुणवत्ता पर ध्यान न देते प्रतिशत देखकर काम कराते, उनके अपने कई चहेते सब्जबाग दिखलाने वाले ,अपना बाग उजाड़ रहे हैं
और बाद में भोले बनकर ,अपना पल्ला झाड़ रहे हैं प्रतिशत है दस्तूर बन गया कुछ दफ्तर में यह रूटीन में किसी एक को प्रतिशत दे दो, बंट जाता है सभी टीम में भले आज जो चीज खरीदी,अगले दिन बिकती कबाड़ में
सारे नेता सारे अफसर रहते है बस इस जुगाड़ में
उनका प्रतिशत जाए उन्हें मिल,बाकी दुनिया जाए भाड़ में
यह कोटेशन ,टेंडर बाजी,खानापूर्ति है कागज की
सांप मरे, लाठी ना टूटे , जान बची रहती है सबकी प्रतिशत लेकर काम कराते,खोट नहीं इनके इमान में कोई दूध का धुला नहीं है, सब के सब नंगे हमाम में कोई अपने हाथ न गंदे ,करता ,चमचों से खाता है
उसको उसका प्रतिशत मिलता और पेट जबभर जाताहै काम ठीक से तब होता है जब वह ले लेता डकार है कोई बगुला भगत बन रहा, खुद ही मच्छी रहा मार है और जब फसंते,तो फिर चक्की पीसा करते हैं तिहाड़ में
सारे नेता, सारे अफसर, रहते हैं बस इस जुगाड़ में
उनका प्रतिशत जाएं उन्हे मिल,बाकी दुनिया जाए भाड़ में
मदन मोहन बाहेती घोटू