मनेगी कैसे दिवाली -अपनी तो है प्लेट खाली
बिन मिठाई यूं ही जी कर
करेले का ज्यूस पी कर
मनेगी कैसे दिवाली
जलेबी,रसगुल्ले ,चमचम
रोज खाना चाहता मन
मगर अपनी प्लेट खाली
तला खाना नहीं मिलता
तेल दीये में है जलता
और हम बस जलाएं दिल
लोग सब पकवान खाते
और हमको है पकाते
हमारे संग यही मुश्किल
रक्त में है शकर संचित
इसलिए है हमें वर्जित
स्वाद सब मिठाइयों का
खाएं सब गुलाब जामुन
हमें मिलता सिर्फ चूरन
वो भी जामुन गुठलियों का
भले होली या दिवाली
दवाई की गोली खाली
लगे है प्रतिबन्ध सारे
कैसा ये त्योंहार प्यारा
मीठा ना हो मुंह हमारा
नहीं कुछ आनंद प्यारे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
बिन मिठाई यूं ही जी कर
करेले का ज्यूस पी कर
मनेगी कैसे दिवाली
जलेबी,रसगुल्ले ,चमचम
रोज खाना चाहता मन
मगर अपनी प्लेट खाली
तला खाना नहीं मिलता
तेल दीये में है जलता
और हम बस जलाएं दिल
लोग सब पकवान खाते
और हमको है पकाते
हमारे संग यही मुश्किल
रक्त में है शकर संचित
इसलिए है हमें वर्जित
स्वाद सब मिठाइयों का
खाएं सब गुलाब जामुन
हमें मिलता सिर्फ चूरन
वो भी जामुन गुठलियों का
भले होली या दिवाली
दवाई की गोली खाली
लगे है प्रतिबन्ध सारे
कैसा ये त्योंहार प्यारा
मीठा ना हो मुंह हमारा
नहीं कुछ आनंद प्यारे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'