बचना ऐ हसीनो -इन बूढ़ों से
१
साठ के पार होते है ,मगर स्मार्ट होते है
पेंशन इनको मिलती है ,बड़े ही ठाठ होते है
तुम इनकी सादगी और मीठी बातों में न आना
संभल के रहना ये बुड्ढे ,बड़े खुर्राट होते है
२
बड़ी मासूमियत से आपके ये दिल को हर लेंगे
अगर देखोगी मुस्काकर,मोहब्बत तुमसे कर लेंगे
पकड़ ऊँगली पहुंची तक ,पहुंचने में ये माहिर है ,
जरा सी घास डालोगी ,ये पूरा खेत चर लेंगे
३
बड़ी मंहंगी पुरानी चीज है 'एंटीक 'कहलाती
पुराने चावलों से खुशबुएँ आती है मनभाती
भले ही कितना भी बूढा अगर हो जाए बंदर पर,
गुलाटी मारने की आदतें उसकी नहीं जाती
४
नज़र कमजोर ,आदत छूटती ना ताका झांकी की
न हिम्मत जाम पीने की ,मगर तलाश साकी की
राम का नाम लेने की ,उमर में रासलीला का ,
मज़ा मिल जाय कैसे भी ,है हसरत उम्र बाकी की
५
न फल है ना ही पत्ते है ,ये लगते पेड़ सूखे है
बहुत खेले खिलाये है ,मगर ये अब भी भूखे है
कभी भी भूल कर इनसे ,दया से प्यार मत करना
मिला जब भी इन्हे मौका ,कभी भी ये न चूके है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
१
साठ के पार होते है ,मगर स्मार्ट होते है
पेंशन इनको मिलती है ,बड़े ही ठाठ होते है
तुम इनकी सादगी और मीठी बातों में न आना
संभल के रहना ये बुड्ढे ,बड़े खुर्राट होते है
२
बड़ी मासूमियत से आपके ये दिल को हर लेंगे
अगर देखोगी मुस्काकर,मोहब्बत तुमसे कर लेंगे
पकड़ ऊँगली पहुंची तक ,पहुंचने में ये माहिर है ,
जरा सी घास डालोगी ,ये पूरा खेत चर लेंगे
३
बड़ी मंहंगी पुरानी चीज है 'एंटीक 'कहलाती
पुराने चावलों से खुशबुएँ आती है मनभाती
भले ही कितना भी बूढा अगर हो जाए बंदर पर,
गुलाटी मारने की आदतें उसकी नहीं जाती
४
नज़र कमजोर ,आदत छूटती ना ताका झांकी की
न हिम्मत जाम पीने की ,मगर तलाश साकी की
राम का नाम लेने की ,उमर में रासलीला का ,
मज़ा मिल जाय कैसे भी ,है हसरत उम्र बाकी की
५
न फल है ना ही पत्ते है ,ये लगते पेड़ सूखे है
बहुत खेले खिलाये है ,मगर ये अब भी भूखे है
कभी भी भूल कर इनसे ,दया से प्यार मत करना
मिला जब भी इन्हे मौका ,कभी भी ये न चूके है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '