Tuesday, February 12, 2019

सुख दुःख 

मैंने हर मौसम की पीड़ा भुगती तो ,
हर मौसम का सुख भी बहुत उठाया है 
मैंने तुम पर जितना प्यार लुटाया है ,
उससे ज्यादा प्यार तुम्हारा पाया है 

इस जीवन के कर्मक्षेत्र में जीत कभी ,
तो फिर कभी हार का मुख भी देखा है 
अगर कभी जो दुःख के आंसू टपकाये ,
आल्हादित होने का सुख भी देखा है 
ख़ुशी ख़ुशी जब पीड़ प्रसव की झेली है ,
तब ही मातृत्व का आनन्द उठाया है ,
मैंने तुम पर जितना प्यार लुटाया है ,
उससे ज्यादा प्यार तुम्हारा पाया है 

वो सूरज की तेज तपन ही है जिससे ,
मेघ जनम ले ,शीतल जल बरसाते है 
पाते हम परिणाम हमारे कर्मो का 
जससे जीवन में सुख दुःख आते जाते है 
विरह पीर में रात रात भर तड़फा हूँ ,
तभी मिलन के सुख से मन मुस्काया है 
मैंने तुम पर जितना प्यार लुटाया है ,
उससे ज्यादा प्यार तुम्हारा पाया है 

दो घूट पियो मदिरा के तो मस्ती मिलती ,
ज्यादाअगर पियो बीमार बना देती 
 सर्दी ,गर्मी बारिश अच्छे मौसम पर ,
उनकी अति ,जीना दुश्वार बना देती 
वैसे ही सुख दुःख का संगम ,जीवन है ,
आज ढला,तब कल सूरज उग पाया है 
मैंने तुम पर जितना प्यार लुटाया है ,
उससे ज्यादा प्यार तुम्हारा पाया है 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
रात के तूफ़ान के बाद 

थोड़ी सी शरारत मैंने की ,थोड़ी सी शरारत तुमने की ,
पर ये सच है कि शरारतें ,दोनों की प्यारी प्यारी थी 
इस सर्द ठिठुरते मौसम में ,तन मन में आग लगा डाली ,
हम दोनों को ही जला गयी ,ऐसी भड़की चिंगारी थी 
दो घूँट प्यार के मैंने पिये ,दो घूँट प्यार के तुमने पिये ,
हम मतवाले मदहोश हुये ,कुछ ऐसी  चढ़ी खुमारी थी 
अब जब तूफ़ान थम गया है ,मुझको इतना तो बतला दो ,
ये पहल करी थी मैंने या इसमें फिर पहल तुम्हारी थी  

घोटू