Monday, May 20, 2019

आठ सीटर डाइनिंग टेबल पर लगी हुई दो प्लेटें,

और बड़े से कटोरदान में चार पाँच रोटियाँ,

आज के सिकुड़ते परिवार की पहचान बन गये है

बड़ी मान मनोव्वल से कभी कभी साथ साथ ,

त्योहार मनाने को आ जाया करते है ,

बच्चे आजकल अपने ही घर में मेहमान वन गये है

यूँ तो कभी उनसे कुछ मशवरा नहीं लेते

पर फ़ंक्शन और त्योहारों पर कुर्सी पर बैठा देते है ,

ग़ोया बुजुर्ग बस पाँव छूने का सामान बन गये है

गोदी में जिनके खेले ,जिन्होंने ने पालापोसा,

चलना तुम्हें सिखाया ,क़ाबिल तुम्हें बनाया,

वो माँ बाप आज बच्चों के लिए ,अनजान बन गये है


घोटू

Wednesday, May 15, 2019

आशीर्वाद

मॉडर्न आशीर्वाद 

झुक कर ,छूकर के चरण कहा ,पोती ने ये दादी माँ से 
दो ऐसा आशीर्वाद मुझे, जीवन गुजरे ,सुख ,सुविधा से 
क्या आशीर्वाद इसे मैं दूँ, दादी  के  मन , असमंजसता 
'दूधों नहाओ और पूतों फलो ',ये आशीर्वाद न अब फलता 
है  श्राप सृदश्य ,कहूँ यदि हो,'अष्ठम  पुत्रम  सौभाग्यवती 
दूँ आशीर्वाद  इस  तरह  का   , मेरी ना  मारी गयी   मती  
इसलिए  एकदम ,मैं  मॉडर्न , देती हूँ आशीर्वाद   तुझे 
स्मार्ट  फोन की  तरह मिले, जीवनसाथी ,स्मार्ट  तुझे 
जो हरदम साथ रहे तेरे  और पूरी  तेरी  हर  चाह करे
ऊँगली के नाच  इशारों पर ,तुझ संग जीवन  निर्वाह करे 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

Wednesday, May 8, 2019

सास और बहू

सास और बहू


सास भी कभी बहू थी ,हुई पुरानी बात

अब तो पहले दिवस से ,बहू बने है सास

बहू बने है सास ,छीन माता का जाया

क्या जादू करती है बेटा बने पराया

कह घोटू काविराय मिटेगा कब ये अन्तर

कब से बहू रहेगी घर में बेटी बन कर


घोटू

Monday, May 6, 2019

मुफ़्तख़ोर


हम बिना परिश्रम किए हुये करना चाहें सबकुछहासिल

और बड़े शौक़ से खाते है जो माल मुफ़्त का जाये मिल


एसा लालच का भूत चढ़ा जो छोड़े नहीं छूटता है

जब भी जिसको मौक़ा मिलता वो खुल्ले हाथ लूटता है

है फ़र्क़ यही कुछ बाहुबली , लूटा करते है सरेआम

कुछ चोरी छुपे आस्ते से , करते रहते है यही काम

इस लूट खसोट रोज़की में ,तू भी शामिल मैं भी शामिल

और बड़े शौक़ से खाते हैं जो माल मुफ़्त का जाये मिल


हम कैसे भी कुछ पाने को करते रहते है दंद फंद

है पास नहीं फूटी कोड़ी पर हमें चाहिये कलाकंद

रहते जुगाड़ के चक्कर में फोकट में सबकुछ मिल जाये

बिन हींग फिटकड़ी लगे हुये हम चाहें रंग चोखा आये

ना चलें थकें घर पर बैठे हम तक ख़ुद आजाये मंज़िल

और बड़े शौक़ से खाते है जो माल मुफ़्त का जाये मिल


सबकी इच्छा रहती,बहती गंगा में हाथ साफ़ कर लें

एसे वैसे या कैसे भी ,अपनी अपनी झोली  भर लें

मिल जाये ख़ज़ाना गढ़ाहुआ,याखुले लाटरीकिसीदिवस

छप्पर चाहे फट जाये पर ऊपर से सोना जाय बरस

मिल जाये बीबी रम्भा सी ,ख़ुद हो या ना उसके क़ाबिल

और बड़े शौक़ से खाते है जो माल मुफ़्त का जाये मिल


मदन मोहन बाहेती 'घोटू'



Sunday, May 5, 2019

अर्थ का अनर्थ
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मैंने जब उनसे पूछा ,जीने की राह बतादो,
वो गए सीडियों तक और ,जीने की राह बता दी
वो लगे बैठ कर सीने,कुछ कपडे नए ,पुराने,
जब मैंने उनको सीने से लगने की चाह  बता दी
मै बोला आग लगी है, तुम दिल की आग बुझा दो
,वो गए दौड़ ले आये,दो चार बाल्टी पानी
देकर सुराही वो बोले,जी चाहे उतना पी लो,
मैंने जब उनको अपनी ,पीने की चाह  बता दी

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

दास्ताने इश्क

थी बला की खूबसूरत ,वो हसीना ,नाज़नीं ,
                   देख कर के जिसको हम पे छा गयी दीवानगी
शोख थी,चंचल वो जालिम,कातिलाना थी अदा ,
                   छायी जिस की छवि दिल पर ,रहती सुबहो-शाम थी 
इश्क था चढ़ती उमर का,सर पे चढ़ कर बोलता ,
                   त़ा उमर रटते रहे हम ,माला जिसके   नाम की
उसने नज़रे इनायत की,जब बुढ़ापा आ गया ,
                    सूख जब फसलें गयी तो बारिशें किस काम की

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

Saturday, May 4, 2019

एक वो भी ज़माना होता था

एक वो भी ज़माना होता था

जब तुम्हें अम्मा की याद आती थी

और तुम जिद करके मैके चली जाती थी

पर मुझसे दूर रहकर जब सताती थी विरह पीड़ा

और तुम्हें सोने नहीं देता था मेरी याद का कीड़ा

तुम मुझे बार बार याद किया करती थी

तुम्हारी बेचैनी तुम्हारे ख़तों में झलकती थी

तुम लिखा करती थी होकर के बेक़रार

आइ लव यू 'मैं करती हूँ तुम्हें बहुत प्यार

बस मुझे लिवाने आ जाओ चिट्ठी को समझ कर तार

वो भी क्या दिन थे ,अजीब सा दीवनापन था

तन्हाई में आग लगाता सावन था

गरमी में सिहरन और सर्दी में पसीना आता था

एक दूजे के बिन पल भर भी नहीं जिया जाता था

और अब

दो चार दिन के लिये भी तुम मैके जाती हो जब

रास्ते में मोबाइल से चार बार

और मैके पहुँच कर व्हाटएप पर बार बार

मुझसे पूछती हो क्या हाल है

फ्रिज में रख कर आइ हूँ ,रोटी और दाल है

गरम करके ख़ा लेना

और याद रख कर टाइम से दवा लेना

काम वाली बाई

आइ या नहीं आइ

उससे ठीक से करवा लेना घर की सफ़ाई

तुम्हारी शुगर बढ़ी हुई है , ख़याल रखना

भूल कर भी मिठाई मत चखना

रोज़ रात को दूध गरम करके पी लेना

दो चार दिन हमारे बग़ैर भी जी लेना

सर भारी हो तो बाम लगा लेना

नारियल पानी नारियल वाले से रोज़ मंगालेना

टीवी के चक्कर में ज़्यादा देर से मत सोना

गरम पानी से नहाना और चड्डी बनियान मत धोना

मुझे तरह तरह की शिक्षा देती रहती हो

पर पहले की तरह 'आई लव यू 'कभी नहीं कहती हो

क्या बूढ़ापे में प्यार प्रदर्शन का तरीक़ा बदल जाता है

एक दूसरे की तबियत का ध्यान पहले आता है

जवानी का प्यार हुआ करता है तूफ़ानी

कुछ आग दिल की कुछ आग जिस्मानी

बुढ़ापे का इश्क़ मगर तिमारदारी है

पर उसमें छुपी मोहब्बत पड़े सब पे भारी है

बुढ़ापे का दर्द पति पत्नी मिल कर बाटते है

एक दूसरे के पैर के नाख़ून काटते है

बुढ़ापे के प्यार का एक अलग अपनापन है

एक दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण है

पति पत्नी का आपस में अटूट बंधन बंध जाता है

प्यार का सही मतलब बुढ़ापे में ही समझ आता है


मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

एक वो भी ज़माना होता था

एक वो भी ज़माना होता था

जब तुम्हें अम्मा की याद आती थी

और तुम जिस करके मैके चली जाती थी

पर मुझसे दूर रहकर जब सताती थी विरह पीड़ा

और तुम्हें सोने नहीं देता था मेरी याद का कीड़ा

तुम मुझे बार बार याद किया करती थी

तुम्हारी बेचैनी तुम्हारे ख़तों में झलकती थी

तुम लिखा करती थी होकर के बेक़रार

आइ लव यू 'मैं करती हूँ तुम्हें बहुत प्यार

बस मुझे लिवाने आ जाओ चिट्ठी को समझ कर तार

वो भी क्या दिन थे ,अजीब सास दीवनापन था

तन्हाई में आग लगाता सावन था

गरमी में सिहरन और सर्दी में पसीना आता था

एक दूजे के बिन पल भर भी नहीं जिया जाता था

और अब

दो चार दिन के लिये भी तुम मैके जाती हो जब

रास्ते में मोबाइल से चार बार

और मैके पहुँच कर व्हाटएप पर बार बार

मुझसे पूछती हो क्या हाल है

फ्रिज में रख कर आइ हूँ ,रोटी और दाल है

गरम करके ख़ा लेना

और याद रख कर टाइम से दवा लेना

काम वाली बाई

आइ या नहीं आइ

उससे ठीक से करवा लेना घर की सफ़ाई

तुम्हारी शुगर बढ़ी हुई है , ख़याल रखना

भूल कर भी मिठाई मत चखना

रोज़ रात को दूध गरम करके पी लेना

दो चार दिन हमारे बग़ैर भी जी लेना

सर भारी हो तो बाम लगा लेना

नारियल पानी नारियल वाले से रोज़ मंगालेना

टीवी के चक्कर में ज़्यादा देर से मत सोना

गरम पानी से नहाना और चड्डी बनियान मत धोना

मुझे तरह तरह की शिक्षा देती रहती हो

पर पहले की तरह 'आई लव यू 'कभी नहीं कहती हो

क्या बूढ़ापे में प्यार प्रदर्शन का तरीक़ा बदल जाता है

एक दूसरे की तबियत का ध्यान पहले आता है

जवानी का प्यार हुआ करता है तूफ़ानी

कुछ आग दिल की कुछ आग जिस्मानी

बुढ़ापे का इश्क़ मगर तिमारदारी है

पर उसमें छुपी मोहब्बत पड़े सब पे भारी है

बुढ़ापे का दर्द पति पत्नी मिल कर बाटते है

एक दूसरे के पैर के नाख़ून काटते है

बुढ़ापे के प्यार का एक अलग अपनापन है

एक दूसरे के प्रति पूर्णसमर्पण है

पति पत्नी का आपस में अटूट बंधन बंध जाता है

प्यार का सही मतलब बुढ़ापे में हीसमझ आता है


मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

Friday, May 3, 2019

स्थान और वक़्त

धरती घूम रही निज धुरी पर सूरज के चक्कर खातीहै 
वैसे वक़्त बदलता रहता ,जैसे जगह बदल जाती है 

देश देश में अलग वक़्त यह इसीलिएमुमकिन होता है 
रात हुआ करती लन्दन में ,जब दिल्ली में दिन होता है 
मौसम भी बदला करते है ,सर्दी गरमी बरसाती है 
वैसे वक़्त बदलता रहता , जैसे जगह बदल जाती है 

कल का छुटभैया नेता जब एमपी चुन दिल्ली जाता है 
हो जाती उसकी पौबारह ,एसा वक़्त बदल जाता है 
आ जाती चेहरे पर रौनक़ थोड़ी तोंद निकल आती है 
वैसे वक़्त बदलता रहता ,जैसे जगह बदल जाती है 

रहती कितने अनुशासन में जब लड़की होजायसयानी 
वक़्त बदलता ससुराल जा बन जाती है घर की रानी 
एक इशारे पर ऊँगली के पतिदेव को नचवाती है 
वैसे वक़्त बदलता रहता ,जैसे जगह बदल जाती है 

घोटू

दिल के अरमान

दिल के अरमां ,आंसूओ में खो  गये
                       १ 
शाम को सजती,संवरती मै रही,
                      आओगे तुम,प्यार निज दरशाओगे
बाँध लोगे बांहों  में अपनी मुझे ,
                       या कि मेरी बांहों  में बंध  जाओगे
आये थके हारे तुम ,खाया पिया ,
                         टी वी देखा  और झटपट  सो गये
क्या बताएं ,रात फिर कैसे कटी ,
                           दिल के अरमां ,आंसूओं में खो गये 
                            २
मुश्किलों से पार्टी का पा टिकिट ,
                       उतरे हम चुनाव के मैदान में
गाँव गाँव ,हर गली ,सबसे मिले ,
                   पूरी ताकत झोंकी अपनी जान  में
पानी सा पैसा बहाया ,सोच ये,
                       कमा लेंगे ,एम पी. जो हो गये
नतीजा  आया ,जमानत जप्त थी,
                       दिल के अरमां , आंसूओं में खो  गये 
                         ३
हुई शादी,प्यारी सी बीबी मिली,
                       धीरे धीरे ,बेटे भी दो हो गये
बुढ़ापे का सहारा ये बनेगें ,
                      लगा कर ये आस हम खुश हो गये
पढ़े,लिख्खे,नौकरी अच्छी  मिली ,
                      हुई शादी,अलग हमसे हो गये
बुढ़ापे में हम अकेले रह गये,
                  दिल के अरमां , आंसूओं में खो  गये

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

बुढ़ापा -एक वरदान

उम्र बुढ़ापे की होती थी त्रास कभी 
मजबूरी का दिलवाती अहसास कभी 
आज बुढ़ापा वो ही है वरदान  बना 
मौज और मस्ती का ये  सामान बना
फ़र्क़ नहीं कुछ ,सिर्फ़ नज़रिया है बदला
सुख से जीने की हमको आ गयी कला
गया ज़माना जब हम पूरे जीवन भर 
पैसा ख़ूब कमाया करते ,मेहनत कर 
पाई पाई कर ,पैसा जोड़ा करते थे 
सात पुश्त के ख़ातिर छोड़ा करते थे 
सारा जीवन जीते थे कंजूसी कर 
मज़ा न जीवन का लेते थे रत्ती भर 
एसे फँसते ननयानू के  फेरे में 
सिमटे रहते थे बस अपने घेरे में 
साथ वक़्त के अब बदलाव लगा आने 
ख़ुद पर ख़र्चो ,मन में भाव लगा आने 
पूत सपूत ,कमायेगा ख़ुद ,खायेगा
पूत कपूत ,तुम्हारी बचत उड़ाएगा
खुल्ली दौलत ,उसमें आलस भर देगी 
उसे निठल्ला और निकम्मा कर देगी 
लिखा भाग्य में ,वैसा जीवन जियेगा 
जो क़िस्मत में है वो खाये पीयेगा
वैसे भी व्यवहार शून्य है अब बच्चे
मातपिता प्रति ,प्यार शून्य है अब बच्चे
अब वो ख़ुद में मस्त ,अलग हो रहते है 
निज जनकों पर ध्यान भला कब देते है 
जैसे शादी हुई ,बदल वो जाते है 
संस्कार तुम्हारे दिये,भुलाते है 
इसीलिये उनके पीछे मत हाय करो 
ख़ुद कमाओ ,ख़ुद पर ख़र्चो,एंजोय करो 
यही सोच सब सुख के साधन जुटा रहे 
निज कमाई का पूरा आनंद उठा रहे 
अब तक जो सिमटे रहते थे निज घर में 
आज घूमते फिरते है दुनिया भर में 
साठ साल के बाद रिटायर होने पर 
अक्सर उगने लगते है लोगों के पर 
ना कमाई की चिंता में घुटते,मरते 
खपत बचत कीख़ुद अपने ख़ातिर करते 
करते है वो जो भी आये मर्ज़ी में 
जाते तीरथ,हिल स्टेशन ,गर्मी में 
सिंगापुर ,योरोप अमेरिका घूम रहे 
या मस्ती में गोआ तट पर झूम रहे 
इन्शुरन्स बीमारी का कर रखते है 
मोटी पेंशन ,दिन मस्ती से कटते है 
मौज मनाते और करते अठखेली है 
बदल गयी बूढ़ों की जीवन शैली है 
मज़ा लिया करते है खाने पीने का 
बदल गया है आज तरीक़ा जीने का 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

बहू बेटी 

सास भी कभी थी बहू,हुई पुरानी बात 
अब तो पहले दिवस से ,बहू बने है सास 
बहू बने है सास ,छीन माता का जाया
एसा जादू करती ,बेटा बने  पराया 
'घोटू' सुख बरसे ,मिट जाये जब ये अंतर 
बहू रहे ससुराल ,सदा बेटी सी बन कर 

घोटू

पतझड़ की उमर

ये पतझड़ की उम्र डाल पर किसको कितना टिकना है 
हमको तुमको सबको एकदिन टूट शाख़ से गिरना है
विकसे थे हम कभी वृक्ष पर नरम मुलायम किसलयथे 
 नन्हें नन्हें ,चिकने चिकने ,हम कितने कांतिमय थे 
साथ वक़्त के हरे भरे हो ,बड़े हुये हम ,इतराये
ख़ूब पवन झोंको में डोले ,हम सबके ही मन भाये
ग्रीष्म ऋतु में छाया दी और शीतल मस्त बयार बने 
एक दूजे संग की अठखेली,हम यारों के यार बने 
रितुयें बदली साथ वक़्त के ,पतझड़ का मौसम आया
हम पीले कमज़ोर पड़ गये ,हवा चली ,संग बिखराया
कोई जला दिया जायेगा और किसी को गढ़ना है 
बन कर खाद ,नये पौधों को ,हराभरा फिर करना है 
ये पतझड़ की उम्र डाल पर किसको कितना टिकना है 
हमको तुमको सबको एकदिन टूट शाख़ से गिरना है 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

Thursday, May 2, 2019

फ्लर्टिंग 
                   १ 
मज़ा लैला और मजनू सी,मोहब्बत में नहीं आता 
मज़ा मियां और बीबी की ,सोहबत में नहीं  आता 
चुगे या ना चुगे चिड़िया ,रहो तुम डालते दाना ,
मज़ा जो आता फ्लर्टिंग में ,कहीं पर भी नहीं आता 
                           २ 
तुम्हारी हरकतों से वो,अगर जो थोड़ा हंसती है 
कर रहे फ्लर्ट तुम उससे ,भली भांति समझती है 
हंसी तो फंस गयी है वो,ग़लतफ़हमी में मत रहना ,
मज़ा उसको भी आता है ,वो टाइम पास करती है 
                             ३ 
देख कर हुस्न मतवाला ,तुम्हारी बांछें जाती खिल 
लिया जो देख बीबी ने ,बड़ी हो जाएगी   मुश्किल 
जवानी देखते उसकी ,बुढ़ापा  अपना भी देखो ,
कहेगी जब तुम्हे अंकल,जलेगा फिर तुम्हारा दिल 
                           ४ 
ये तुम्हारा दीवानापन ,ज़माना ताकता  होगा 
फलूदा होगी इज्जत जो,गये पकड़े,पता होगा 
बड़ा छुप छुप के मस्ती में ,इधर तुम मौज लेते हो,
उधर घर में तुम्हारे भी ,पड़ोसी झांकता होगा  

मदन मोहन बाहेती'घोटू'