गुरु गुड़, चेला शक्कर
गुरुजी तो रह गए लघु जी, चेले गुरु घंटाल हो गए
गुरु जी अब भी फटे हाल है, चेले मालामाल हो गए
गुरुजी रहे सिखाते अ आ इ ई क ख ,एबीसीडी
वह अब भी नीचे है ,चेले चढ़े तरक्की की हर सीढ़ी खड़ा बेंच पर किया गुरु ने, वो है अब कुर्सी पर बैठे
वह अब ऐंठे ऐंठे रहते ,कान गुरु ने जिनके ऐंठे
जिनको गुरुजी ने पीटा था,जमकर पैसे पीट रहे हैं बहुत बड़े वह ढीठ आजकल ,बचपन से जो ढीठ रहे हैं
गुरु थे मुर्गा जिन्हें बनाते, वह मुर्गा हलाल हो गए
गुरु जी अब भी फटे हाल हैं,चेले मालामाल हो गए
गुरुजी की गई मास्टरी,चेले मास्टर बहुत बड़े हैं
जिन्हें क्लास से बाहर करते,दफ्तर बाहर आज खड़े हैं
लंगडी भिन्न सिखाई जिनको, भिन्न हुई उनकी बोली है
गुरुजी गुड़ की डली रह गए, चेले शक्कर की बोरी है
जिनको बारह खड़ी सिखाई, उनके आज हुए पौबारा
कोई नेता कोई अफसर ,कोई बड़ी फैक्ट्री वाला
दो दूनी चार भुलाया उनने, दो के कई हजार हो गए
गुरुजी तो अब भी फटेहाल हैं,चेले मालामाल हो गए
मदन मोहन बाहेती घोटू