Tuesday, November 22, 2011

मौसम में बदलाव आ गया

मौसम में बदलाव आ गया
-------------------------------
पहले सड़कों पर, ठेलों पर,आम भरे होते थे पीले
उनकी जगह नज़र आते है,एपल लाल लाल ,चमकीले
सोंधी सी खुशबू महकाते,ठेले गरम मूंगफली वाले
गज़क ,रेवड़ी भर कर सजते,जगह जगह स्टाल  निराले
रस में  डूबी गरम जलेबी,दिखलाती है अपना जलवा
मन को मोहित कर देता है,गरम गरम गाजर का हलवा
गोभी,आलू भरे   परांठे ,रोज रोज मन चाहे खाना
गरम गरम मक्की की रोटी,और सरसों का साग सुहाना
पीयें गरम चाय और कोफ़ी ,बार बार हम ,मन ये करता
मौसम खाने पीने वाला आया, जल्दी खाना  पचता
खुले खुले से तन को ढकते,सुन्दर शाल,कार्डिगन,स्वेटर
शाम हुई,तो आसमान को ,ढक लेती कोहरे की चादर
मन करता है तेज धूप में,,सूरज की ,बैठें,तन सेकें
और रात दुबके बिस्तर में,तन पर गरम रजाई ले के
बच्चे लिए ,उनींदी आँखें,लाद किताबों वाला बस्ता
सपना लिए बड़ा बनने का, नाप रहे स्कूल का रस्ता
थर थर थर तन काँप रहा है,कहर बहुत सर्दी ने ढाया
बिरहन जोहे  बाट पिया की,मधुर मिलन का मौसम आया
अपने प्रियतम से मिलने का,मन में मीता चाव आ गया
मौसम में बदलाव  आ गया

 

 

बदलता हुआ मौसम और तुम

बदलता हुआ मौसम और तुम
-----------------------------------
उन दिनों आम का मौसम था,
जब गर्मी से,कुम्हला गए थे गाल तुम्हारे ,
और उनकी रंगत हो गयी थी,
आम जैसी पीली पीली और स्वर्णिम
अब सेवों का मौसम आगया है,
और अब सर्द हवाओं की छेड़छाड़ ने,
तुम्हारे गालों में भर दिया है,
गुलाबी रंग,
और अब तुम्हारे गालों की रंगत है,
सेव जैसी लाल लाल और रक्तिम
मौसमी फलों की तरह,
तुम भी रंग बदलती रहती हो,
गर्मी में गरम लू के थपेड़ों की तरह,
तो सर्दी में शीतल  हवाओं की तरह बहती हो
मेरी हमदम,
नया स्वाद और नूतन रंगत,
मौसम के संग,तुममे हर दम

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'