आधुनिक सुदामा चरित्र
( ब तर्ज नरोत्तमलाल )
१
मैली और कुचैली ,ढीलीढाली और फैली ,
कोई बनियान जैसी वो तो पहने हुए ड्रेस है
जगह जगह फटी हुई ,तार तार कटी हुई ,
सलमसल्ला जीन्स जिसमे हुई नहीं प्रेस है
बड़ी हुई दाढ़ी में वो दिखता अनाडी जैसा ,
लड़की की चोटियों से ,बंधे हुए केश है
नाम है सुदामा ,कहे दोस्त है पुराना ,
चाहे मिलना आपसे वो ,करे गेट क्रेश है
२
ऑफिस के बॉस कृष्णा,नाम जो सुदामा सुना ,
याद आया ये तो मेरा ,कॉलेज का फ्रेंड था
सभी यार दोस्तों से ,लेता था उधार पैसे ,
मुफ्त में ही मजा लेना ,ये तो उसका ट्रेंड था
लोगों का टिफ़िन खोल ,चोरी चोरी खाना खाता ,
प्रॉक्सी दे मेरी करता ,क्लास वो अटेंड था
पढ़ने में होशियार ,पढ़ाता था सबको यार ,
नकल कराने में भी ,एक्सपीरियंस हेंड था
३
कृष्ण बोले चपरासी से ,जाओ अंदर लाओ उसे ,
और सुनो केंटीन से ,भिजवा देना ,चाय दो
सुदामा से कृष्ण कहे ,इतने दिन कहाँ रहे ,
व्हाट्सएप,फेसबुक पर,कभी ना दिखाय दो
फ्रेण्डों के फ्रेंड कृष्ण ,सुदामा से करे प्रश्न ,
थके हुए लगते हो, थोड़ा सा सुस्ताय लो
होकर के इमोशनल ,कृष्ण बोले माय डीयर,
भूखे हो ,पिज़ा हम,मंगवा दें,खाय लो
मदन मोहन बाहेती'घोटू'