Saturday, February 27, 2016

           दावतनामा

तुम भी चाहो ,मैं ना आऊँ ,
     यूं भी मुश्किल मेरा आना
फिर भी दस्तूर निभाने को,
       तुमने भेजा दावतनामा
कह सकते अब तुम दुनिया से ,
कि तुमने तो भेजा था न्योता
पर दगाबाज मैं  ही निकला,
मैंने  ही मार  दिया  गोता
यूं बीच  राह में खतम हुआ,
          मेरा तुम्हारा,  अफ़साना 
फिर भी दस्तूर  निभाने को,
           तुमने भेजा  दावतनामा
यदि गलती से मैं आ जाता ,
तुमसे मिलती नज़रें मेरी
कर याद पुरानी बातों को,
यदि पनियाती ,आँखें तेरी
मैं आंसूं पोंछ नहीं पाता ,
         और दिल को पड़ता तड़फ़ाना
फिर भी दस्तूर निभाने को,
          तुमने भेजा  दावतनामा
नादान उमर में देख लिए ,
हमने जाने क्या क्या सपने
मासूम हृदय क्या जाने था ,
हम एक दूजे हित ,नहीं बने
 तुम्हारा है  अभिजात्य वर्ग , 
            मैं अदना ,पगला,दीवाना
  फिर भी दस्तूर निभाने को  ,
             तुमने भेजा दावतनामा
हो रही पराई हो अब तुम, 
यूं भी मेरी अपनी ,कब थी
संग जीने मरने की कसमे ,
बचपन वाली हरकत ,सब थी
दुनियादारी की रस्मो से ,
         तुम भी,मैं भी था अनजाना
फिर भी दस्तूर निभाने को ,
             तुमने भेजा दावतनामा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'                      

              
         मैं पंडित हूँ    

युगों युगों से ,धर्म पुरुष मैं ,ब्रह्मपुरुष ,महिमा मंडित हूँ 
                                                               मैं पंडित हूँ
भले जन्म ,यज्ञोपवीत हो ,या विवाह बंधन की रस्मे ,
संस्कार कोई जीवन का, मुझ बिन पूरा हो ना   पाता
मुझे देवता तुल्य समझ कर ,सब सन्मान दिया करते है ,
ब्राह्मणदेव कहाता  हूँ मैं  ,और घर घर में पूजा जाता
वर्णव्यवस्था में भारत की,श्रेष्ठ,पुराणो में वर्णित  हूँ 
                                                           मैं पंडित हूँ
मिला हुआ है मुझको ठेका ,स्वर्गलोक  के  पारपत्र  का,
मुझ को दो तुम दान दक्षिणा ,टिकिट स्वर्ग का कट जाएगा
सारे मंदिर और तीरथ  पर, एक छत्र साम्राज्य  हमारा ,
मुझ से हवन ,यज्ञ करवा लो,सब दुःख संकट  हट जाएगा
भजन कीर्तन,कथा भागवत, मैं  करवाता  आयोजित हूँ 
                                                                 मैं पंडित हूँ
स्थिर है जो दूर करोड़ो मील, शनि,मंगल या राहु,
देख रहे हो ,वक्र दृष्टी से,और तुम पर पड़ते हो भारी
जाप करा ,पूजन करवा लो ,शांत सभी को मैं कर दूंगा,
कुछ न बिगाड़ सकेगा कोई,सीधी उन तक पहुँच हमारी
मंत्र शक्ति से और हवन कर ,मैं सबको कर देता चित हूँ 
                                                                मैं पंडित हूँ 
मेरा 'कम्युनिकेशन 'है सीधा,स्वर्गलोक की उस दुनिया से ,
इतनी तेज 'कुरियर सर्विस'नहीं कभी भी आप पायेंगे
इधर मुझे भर पेट खिलाओ ,अच्छे अच्छे भोजन,व्यंजन ,
तृप्त तुम्हारे सारे पुरखे ,उधर स्वर्ग  में  हो  जायेंगे 
श्राद्ध पक्ष में ,ये स्पेशियल ,सेवा ,मैं  करता  अर्पित हूँ 
                                                             मैं पंडित हूँ
 मदन मोहन बाहेती'घोटू'