जीवन दर्शन
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मै का मय है बड़ा नशीला,
सर पर चढ़ बोला करता है
अहंकार का मूल यही है,
सबको बढबोला करता है
होता जब कोई मदांध है,
तो आने लगती सड़ांध है
पूर्ण विकस कर जब इतराता,
होने लगता क्षीण चाँद है
जब तक पानी बंधा बाँध से,
बिजली और उर्जा देता है
बाँध तोड़ बहता गरूर से,
तहस नहस सब कर देता है
,कितने ही बन जाओ बड़े तुम,
मर्यादा में रहना सीखो
अहंकार को मत छूने दो,
मंथर गति से बहना सीखो
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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मै का मय है बड़ा नशीला,
सर पर चढ़ बोला करता है
अहंकार का मूल यही है,
सबको बढबोला करता है
होता जब कोई मदांध है,
तो आने लगती सड़ांध है
पूर्ण विकस कर जब इतराता,
होने लगता क्षीण चाँद है
जब तक पानी बंधा बाँध से,
बिजली और उर्जा देता है
बाँध तोड़ बहता गरूर से,
तहस नहस सब कर देता है
,कितने ही बन जाओ बड़े तुम,
मर्यादा में रहना सीखो
अहंकार को मत छूने दो,
मंथर गति से बहना सीखो
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'