खोज- भगवान् के कण की
बनायी किसने ये दुनिया, पहाड़,नदिया,समंदर
पेड़ और पौधे बनाये ,कीट, पक्षी , जानवर
चाँद तारों से सजाया , प्यारा सा सुन्दर जहाँ
बनाये आदम और हव्वा, उनको फिर लाया यहाँ
और फिर इन दोनों ने आ,गुल खिलाये नित नये
मिले दोनों इस तरह ,मिल कर करोड़ों बन गये
इतना सब कुछ रचा जिसने,शक्ति वो भगवान है
आज उस भगवान के कण ,खोजता इंसान है
समाया कण कण में जो,जिसके अनेकों वेश है
वो अगोचर है अनश्वर, आत्म भू,अखिलेश है
खोज में जिसकी लगे है,ज्ञानी,ध्यानी,देवता
कोई ढूंढें काबा में , काशी में कोई ढूंढता
करो तुम विस्फोट कितनी कोशिशें ही रात दिन
उस अनादि ईश्वर का पार पाना है कठिन
उसको पाना बड़ा मुश्किल,ढूंढते रह जाओगे
सच्चे मन से,खुद में झांको,वहीं उसको पाओगे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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Wednesday, July 4, 2012
मार दी
मार दी
हुस्नवाले हो गए है ,देखो कितने बेरहम,
गिराई बिजलियाँ हम पर, नज़र तिरछी मार दी
वो भी थे कुछ में और हम भी थे कुछ सोच में,
जरा सी गफलत हुई, आपस में टक्कर मार दी
देख उनको आँख फडकी,बंद सी कुछ हो गयी,
हम पे है आरोप हमने , आँख उनको मार दी
व्यस्त थे हम देखने में ,जलवा उनके हुस्न का,
दिलजले ने मौका पा,पाकिट हमारी मार दी
दिखाये थे हमको उनने,सपन सुन्दर,सुहाने,
वक़्त कुछ देने का आया ,उनने डंडी मार दी
वोट के बदले में हमको नेताजी ने क्या दिया,
दाम चीजों के बढ़ा, मंहगाई की बस मार दी
बड़ा लम्बा लेक्चर था,और वो भी बेवजह,
हमने देखा,हमसे कितनो ने थी झपकी मार दी
आ रहा था बड़ा आलस,मूड था आराम का,
बिमारी के बहाने हमने भी छुट्टी मार दी
लोग इतने प्रेक्टिकल हो गये है आजकल,
जिसको भी मौका मिला तो दूसरों की मार दी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
हुस्नवाले हो गए है ,देखो कितने बेरहम,
गिराई बिजलियाँ हम पर, नज़र तिरछी मार दी
वो भी थे कुछ में और हम भी थे कुछ सोच में,
जरा सी गफलत हुई, आपस में टक्कर मार दी
देख उनको आँख फडकी,बंद सी कुछ हो गयी,
हम पे है आरोप हमने , आँख उनको मार दी
व्यस्त थे हम देखने में ,जलवा उनके हुस्न का,
दिलजले ने मौका पा,पाकिट हमारी मार दी
दिखाये थे हमको उनने,सपन सुन्दर,सुहाने,
वक़्त कुछ देने का आया ,उनने डंडी मार दी
वोट के बदले में हमको नेताजी ने क्या दिया,
दाम चीजों के बढ़ा, मंहगाई की बस मार दी
बड़ा लम्बा लेक्चर था,और वो भी बेवजह,
हमने देखा,हमसे कितनो ने थी झपकी मार दी
आ रहा था बड़ा आलस,मूड था आराम का,
बिमारी के बहाने हमने भी छुट्टी मार दी
लोग इतने प्रेक्टिकल हो गये है आजकल,
जिसको भी मौका मिला तो दूसरों की मार दी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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