Monday, April 7, 2025

 दो मुक्तक 
1
यह जीवन कर्ज तेरा था, दिया तूने लिया मैंने

 दिए निर्देश जो जैसे ,उस तरह ही जिया मैंने

मैं मरते वक्त तक बाकी कोई उधार ना रखता ,

दिया था तूने जो जीवन, तुझे वापस किया मैंने 
2
हम अपने ढंग से जी लें,बुढ़ापा इसलिए उनने

अकेला छोड़कर हमको ,बसाया घर अलग उनने 

 हमारी धन और दौलत का,ध्यान पर रखते हैं बच्चे ,
कर लिया फोन करते हैं, हमारी खैरियत सुनने

मदन मोहन बाहेती घोटू