Monday, June 16, 2025

हम तुम और बीमारी 

बीमार तुम भी, बीमार हम भी 
बचा ना हम मे ,कोई दम खम भी 

चरमरा करके चलती जीवन की गाड़ी
कभी तुम अगाड़ी, कभी हम अगाड़ी 
बुढ़ापे का होता, यही आलम जी 
लाचार तुम भी, लाचार हम भी

न कुछ तुमसे होता, न कुछ हमसे होता
जैसे तैसे भी करके समझौता 
कभी मन में खुशियां ,तो कभी गम भी 
बीमार तुम भी ,बीमार हम भी 

कई चिंताओ व्याधियों ने है घेरा 
सहारा मैं तेरा ,सहारा तू मेरा 
डगमगाते चलते, हमारे कदम भी 
बीमार तुम भी ,बीमार हम भी 

संग संग हम हैं सुखी है इसी से 
बचा है जो जीवन काटें खुशी से 
करो प्यार तुम भी , करें प्यार हम भी
 बीमार तुम भी ,बीमार हम भी 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
यह जिव्हा 

यह जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 
समोसा न होता, पकौड़ी न होती 

नहीं दही भल्लों की चाटें सुहानी 
नहीं गोलगप्पों का खट्टा सा पानी 
आलू की टिक्की, कचोरी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

ना तो पाव भाजी , न इडली न डोसा 
न मोमो ,न नूडल ,ना पिज़्ज़ा ही होता 
छोले और भटूरे की जोड़ी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

 ना लड्डू ,ना बर्फी ,जलेबी का जलवा 
रसगुल्ला प्यारा,ना गाजर का हलवा
रबड़ी,इमरती सुनहरी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी ना होती

दुआ जिव्हा को दो,उसके ही कारण 
मज़ा खाने पीने का ये ले रहे हम
क्या होता जो ये निगोड़ी न होती
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

मदन मोहन बाहेती घोटू 


घोटू के पद 

घोटू,मन मेरा चौकीदार 
मेरे जीवन की हर क्रिया उसके कहे अनुसार

कब सोना,कब जगना,खाना ,कब हंसना, कब रोना
पढ़ना लिखना ,प्यार मोहब्बत, मन के कहे ही होना 

मन माफिक यदि कुछ ना होता ,मन हो जाता भारी 
सुख देती है वह क्रिया ,जो मन को लगती प्यारी

 जिस पर मन आ जाता ,जुड़ता जनम जनम का नाता 
मन होता गतिमान पलों में कहां-कहां हो आता 

सुख में मन होता है हल्का दुख में होता भारी अंदर ही अंदर घुटने की मन को लगे बीमारी 

यदि जीवन सुख से जीना है,सदा सुखी जो रहना
करो वही जो मन कहता है ,मानो उसका कहना

मन प्रसन्न तो झंकृत होते, मन वीणा के तार 
घोटू ,मन मेरा चौकीदार

मदन मोहन बाहेती घोटू