नई जनरेशन के भाव
ना तो देती भाव किसी को ,
उस पर भाव सभी से खाती ,
बड़ी भावना शून्य हो गयी
अरे आज की ये जनरेशन
ब्रांडेड शोरूमों में जा कर ,
सीधे से परचेसिंग करती ,
मोल भाव करना ना जाने ,
सिर्फ देखती ताज़ा फैशन
सबको आदर भाव दिखाना
प्रेम और सदभाव दिखाना
भूल गई सब संस्कार को,
ऐसा अजब स्वभाव हो गया
उल्टा सीधा रहन सहन है
उल्टा सीधा खाना पीना ,
वेस्टर्न कल्चर का उन पर,
इतना अधिक प्रभाव हो गया
इतनी ज्यादा आत्मकेंद्रित ,
और गर्वित रहती है खुद पर ,
मातपिता और भाई बहन के ,
भुला दिए है रिश्ते सारे
ये सब माया की माया है
जिसने उनमे अहम भर दिया ,
ढलने जब ये उमर लगेगी,
दूर बहम तब होगें सारे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
ना तो देती भाव किसी को ,
उस पर भाव सभी से खाती ,
बड़ी भावना शून्य हो गयी
अरे आज की ये जनरेशन
ब्रांडेड शोरूमों में जा कर ,
सीधे से परचेसिंग करती ,
मोल भाव करना ना जाने ,
सिर्फ देखती ताज़ा फैशन
सबको आदर भाव दिखाना
प्रेम और सदभाव दिखाना
भूल गई सब संस्कार को,
ऐसा अजब स्वभाव हो गया
उल्टा सीधा रहन सहन है
उल्टा सीधा खाना पीना ,
वेस्टर्न कल्चर का उन पर,
इतना अधिक प्रभाव हो गया
इतनी ज्यादा आत्मकेंद्रित ,
और गर्वित रहती है खुद पर ,
मातपिता और भाई बहन के ,
भुला दिए है रिश्ते सारे
ये सब माया की माया है
जिसने उनमे अहम भर दिया ,
ढलने जब ये उमर लगेगी,
दूर बहम तब होगें सारे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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