उनने करवा चौथ मनाई ,पूरे दिन तक व्रत में रह कर
करी चाह ,पति दीर्घायु हो ,तॄष्णा और क्षुधा सह सह कर
उनका चन्दा जैसा मुखड़ा ,कुम्हला गया ,शाम होने तक,
चंद्रोदय के इन्तजार में ,बेकल दिखती थी रह रह कर
चाँद उगा,छलनी से देखा मेरा मुख,फिर पीया पानी,
उनकी मुरझाई आँखों से ,प्यार उमड़ता देखा बह कर
तप उनका,मैंने फल पाया ,ऐसा अपना स्वार्थ दिखाया ,
खुद की लंबी उमर मांग ली ,सदा सुहागन रहना,कह कर
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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