शार्ट कट
मूर्ती को प्रभु समझ हम,पाहनो को पूजते है
देव क्या ,हम देवता के वाहनों को पुजते है
शिव का वाहन ,नन्दी है तो,हम उसे भी जल चढाते
और मन की कामना हम ,कान में उसके सुनाते
गजानन वाहन है मूषक ,चढाये मोदक उड़ाता
कान में उसके मनोरथ ,फुसफुसा कर कहा जाता
चढ़ाते हनुमानजी को, राम का हम नाम लिखते
भला क्यों सीधे प्रभु से , मांगने में हम हिचकते
सोचते है प्रभु से यदि ,करेगा रिकमंड वाहन
तो प्रभु जल्दी सुनेंगें, मिलेगा जो चाहता मन
काम चमचों से कराना , शार्ट कट का रास्ता है
रीति लेकिन ये पुरानी ,बन गयी अब आस्था है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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