आओ मेरे संग टहलो
आओ तुम मेरे संग टहलो
तुम्हारे मन में दिन भर का ,जो भी गुस्से का गुबार है,
उसकी,इसकी जाने किसकी,शिकायतों का जो अंबार है
मन हल्का होगा तुम्हारा,सब तुम मुझसे कह लो
आओ तुम मेरे संग टहलो
यूं ही रहती परेशान तुम ,मन की सारी घुटन हटा दो
लगा उदासी का चंदा से, मुख पर है जो ग्रहण हटादो
थोड़ा हंस गा लो मुस्कुरा लो और प्रसन्न खुश रह लो आओ तुम मेरे संग टहलो
इतनी उम्र हुई तुम्हारी ,परिपक्वता लाना सीखो
नई उमर की नई फसल से ,सामंजस्य बनाना सीखो
बात किसी की बुरी लगे तो, तुम थोड़ा सा सह लो
आओ तुम मेरे संग टहलो
अपने सभी गिले-शिकवे तुम जो भी है मुझसे कह डालो
थोड़ा शरमा कर मतवाली,अपनी चितवन मुझ पर डालो
पेशानी से परेशानियां ,परे करो ,खुश रह लो
आओ तुम मेरे संग टहलो
मदन मोहन बाहेती घोटू
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