बोलो मुझे खरीदोगे क्या
बोलो मुझे खरीदोगे क्या मैं बिकाऊ
गारंटी है तीन माह की ,मैं टिकाऊ हूं
मैं बिकाऊ हूं
घर घर मेरी पहुंच ,मीडिया मुझको कहते
पुलिस और सब अफसर मुझसे डर कर रहते
मैं जिसकी भी चाहूं उसकी हवा बहा दूं
कभी अर्श से फर्श ,फर्श से अर्श चढ़ा दूं
जो खरीदता ,काम में उसके, बहुत आऊं हूं
बोलो मुझे खरीदोगे क्या , मैं बिकाऊ हूं
मैं बिकाऊ हूं
मैं ,मौसम वैज्ञानिक हूं ,दल बदलू नेता
शामिल होता उस दल में ,जो कुर्सी देता
अपनी जाति वर्ग में मेरी बड़ी कदर है
मैं रहता जिस ओर,वोट सब पढ़े उधर है
राजनीति का चतुर खिलाड़ी ,मैं कमाऊं हूं
बोलो मुझे खरीदोगे क्या, मैं बिकाऊ हूं
मैं बिकाऊं हूं
मैं प्रसिद्ध हूं ,बुद्धिजीवी ,कलाकार हूं
उल्टे सीधे ,वामपंथी रखता विचार हूं
अब मुशायरे कम होते ,ना रही कमाई
जो कुछ देता ,कह देता, उसकी मनचाही
इसी बहाने ,चर्चा में, मैं आऊं जाऊं हूं
बोलो मुझे खरीदोगे क्या ,मैं बिकाऊ हूं
मैं बिकाऊ हूं
मदन मोहन बाहेती घोटू
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