बुढ़ापे में आशिकी का चक्कर
एक दिन ,
हमारे बुजुर्ग साथी का विवेक जागा
तो वो उन्होंने अपने अंतर्मन के पट खोले
और अपनी धर्मपत्नी से बोले
तुम मुझसे इतना प्यार करती हो
तुम मेरा इतना ख्याल रखती हो
फिर भी मैं जब तब
जवान महिलाओं की तरफ
ललचाई नज़रों से ताकता हूँ
जब भी मौका मिलता है ,
उनके पीछे चोरी छुपे भागता हूँ
मैं जानता हूँ ये गलत है पर मुझे सुहाता है
क्या मेरी इन हरकतों पर ,
तुम्हे गुस्सा नहीं आता है
पत्नी ने मुस्करा कर दिया जबाब
इसमें बुरा मान कर,
मैं क्यों अपना दिमाग करू खराब
आप मेरे हाथ से फिसलो ,
ये आपकी औकात नहीं है
मैंने कई कुत्तों को ,
चमचमाती कार के पीछे दौड़ते देखा है
जब कि वो जानते है कि कार ड्राइव करना ,
उनके बस की बात नहीं है
तुम लाख लड़कियों के पीछे दौड़ो ,
वो डालनेवाली तुम्हे घास नहीं है
और अगर बदकिस्मती से उसे पटालोगे
तो मैं तो तुमसे सम्भल नहीं पाती ,
उसको क्या संभालोगे ?
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '