दावतनामा
तुम भी चाहो ,मैं ना आऊँ ,
यूं भी मुश्किल मेरा आना
फिर भी दस्तूर निभाने को,
तुमने भेजा दावतनामा
कह सकते अब तुम दुनिया से ,
कि तुमने तो भेजा था न्योता
पर दगाबाज मैं ही निकला,
मैंने ही मार दिया गोता
यूं बीच राह में खतम हुआ,
मेरा तुम्हारा, अफ़साना
फिर भी दस्तूर निभाने को,
तुमने भेजा दावतनामा
यदि गलती से मैं आ जाता ,
तुमसे मिलती नज़रें मेरी
कर याद पुरानी बातों को,
यदि पनियाती ,आँखें तेरी
मैं आंसूं पोंछ नहीं पाता ,
और दिल को पड़ता तड़फ़ाना
फिर भी दस्तूर निभाने को,
तुमने भेजा दावतनामा
नादान उमर में देख लिए ,
हमने जाने क्या क्या सपने
मासूम हृदय क्या जाने था ,
हम एक दूजे हित ,नहीं बने
तुम्हारा है अभिजात्य वर्ग ,
मैं अदना ,पगला,दीवाना
फिर भी दस्तूर निभाने को ,
तुमने भेजा दावतनामा
हो रही पराई हो अब तुम,
यूं भी मेरी अपनी ,कब थी
संग जीने मरने की कसमे ,
बचपन वाली हरकत ,सब थी
दुनियादारी की रस्मो से ,
तुम भी,मैं भी था अनजाना
फिर भी दस्तूर निभाने को ,
तुमने भेजा दावतनामा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
तुम भी चाहो ,मैं ना आऊँ ,
यूं भी मुश्किल मेरा आना
फिर भी दस्तूर निभाने को,
तुमने भेजा दावतनामा
कह सकते अब तुम दुनिया से ,
कि तुमने तो भेजा था न्योता
पर दगाबाज मैं ही निकला,
मैंने ही मार दिया गोता
यूं बीच राह में खतम हुआ,
मेरा तुम्हारा, अफ़साना
फिर भी दस्तूर निभाने को,
तुमने भेजा दावतनामा
यदि गलती से मैं आ जाता ,
तुमसे मिलती नज़रें मेरी
कर याद पुरानी बातों को,
यदि पनियाती ,आँखें तेरी
मैं आंसूं पोंछ नहीं पाता ,
और दिल को पड़ता तड़फ़ाना
फिर भी दस्तूर निभाने को,
तुमने भेजा दावतनामा
नादान उमर में देख लिए ,
हमने जाने क्या क्या सपने
मासूम हृदय क्या जाने था ,
हम एक दूजे हित ,नहीं बने
तुम्हारा है अभिजात्य वर्ग ,
मैं अदना ,पगला,दीवाना
फिर भी दस्तूर निभाने को ,
तुमने भेजा दावतनामा
हो रही पराई हो अब तुम,
यूं भी मेरी अपनी ,कब थी
संग जीने मरने की कसमे ,
बचपन वाली हरकत ,सब थी
दुनियादारी की रस्मो से ,
तुम भी,मैं भी था अनजाना
फिर भी दस्तूर निभाने को ,
तुमने भेजा दावतनामा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'