Tuesday, March 18, 2014

समझौता

         समझौता

पत्नीजी नाराज़ बहुत है ,
पडी हुई मुझसे मुंह फेरे
डबल बेड  के उस कोने में ,
पास नहीं आती है मेरे
और दूसरे कोने में ,मैं ,
उनसे मुंह  फेरे लेटा हूँ
मुझको लगता जैसे उनसे ,
मीलों दूर ,कहीं बैठा हूँ
पर यदि वो एक करवट ले ले ,
तो दूरी हो जायेगी  कम
और यदि मैं एक करवट ले लूं,
आपस में मिल जायेंगे हम
लेकिन पहल कौन करता है ,
रहा मामला यहीं  अटक है
दोनों मिलन चाहते लेकिन,
 लेता कौन  प्रथम करवट है
जीवन में सुख  छा जायेंगे ,
अपना  अहम् छोड़ दें जो हम
वो लें करवट,मै लूं करवट ,
तो  निश्चित ही होगा संगम

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

होली का हादसा









              होली का हादसा 

होली के दिन ,
हम बड़े  रोमांटिक बन ,
हाथो में ले गुलाल की  झोली
निकल पड़े अपनी पडोसिनो से खेलने होली
पहली पड़ोसन के गालों पर ,जब गुलाल मला
पर उसके गाल इतने गुलाबी थे ,
कि मेरी गुलाल का रंग ही नहीं चढ़ा
मन में लिए मलाल
जब गुलाल लेकर ,टटोले दूसरी के गाल
पर उसके गाल इतने चिकने थे ,
कि उन पर गुलाल ही फिसल गयी
और तीसरी को पहचान ही नहीं पाये ,
,क्योंकि वह अपना मुंह काला करवा कर,
मेरे सामने से ही निकल गयी
और हम ढूंढते ही रह गए
अब किस से क्या कहे,
 अरमान आँसुओ में बह गए

मदन  मोहन बाहेती'घोटू'

भड़ास

             भड़ास

पत्नी के इशारों पर नाचनेवाले पति,
जब भी थोड़ी सी ,फुर्सत पाते है
हाथ में रिमोट लेकर ,
टी वी देखने लग जाते है
और अपनी उंगली के इशारों पर ,
चेनल बदल बदल कर ,
खुश होते रहते है
अपने मन की भड़ास निकालना ,
इसे कहते है

घोटू