Friday, October 17, 2014

दक्षिण भारतीय व्यंजन और हुस्न

         दक्षिण भारतीय व्यंजन और हुस्न

सुन्दर है प्यारा  चेहरा ,जैसे हो 'उत्तप्पम'
           'रस्सम 'के जैसी चटपटी ,'साम्भर 'सी स्वाद हो
'डोसे 'की तरह पूरी मसाले से भरी हो,
             'उपमा' हो कभी  और  कभी 'दही भात ' हो
'इडली'से नरम गाल ,जिनमे 'मेदूबड़े 'से,
             पड़ते है डिम्पल ,हंसती ,लगती  लाजबाब हो
हो 'केसरी हलवे'सी मीठी और रस भरी,
              जाने बहार  तुम  किसी  भूखे  का  ख्वाब हो

घोटू 

हुस्न या मिठाई की दूकान

          हुस्न या मिठाई की दूकान


सुन्दर तिकोनी नाक ज्यों  बर्फी बादाम की,
                  हो  टेढ़ीमेढ़ी  जलेबी या जैसे इमरती
है गाल भी गुलाबजामुन जैसे रसीले ,
                 रबड़ी के लच्छों की तरह बात तुम करती     
तन में भरे है  जैसे लड्डू मोतीचूर के,
                  मीठा है बड़ा स्वाद ,हर एक अंग तुम्हारा ,
लगता है तुम मिठाई की पूरी दूकान हो,
                   रसगुल्ले की तरह पूरी रस से टपकती

घोटू

हुस्न-चौके का

          हुस्न-चौके का

जुल्फों में काली ,उनका गोरा चेहरा लगे ,
          जैसे तवे पे सिक रही हो गर्म रोटियां
सुन्दर तिकोनी नाक लगती जैसे समोसा , 
      आँखें मटर सी ,जैसे करती ,मटरगश्तियां
सुन्दर से मुख पे खिलखिलाती उनकी ये हंसी ,
     अरहर की दाल में हो ज्यों छोंका लगा दिया
देखा जो उनका हुस्न ,हमें भूख लग गयी ,
         चौके में उनके रूप ने ,चौंका  हमें दिया

घोटू

शुभ मुहूर्त

                 शुभ मुहूर्त

पत्नीजी बड़े प्यार से तैयार कल हुई,
       देकर के पप्पी प्यार से,हमको दिया चौंका
बोली कि टी वी ,पेपरों में आ रही खबर ,
         संगम हुआ है आज बड़ा शुभ ही ग्रहों का
मुस्काके बड़े प्यार से फिर हमसे वो बोली ,
       ज्वेलर के यहाँ चलके मुझे गहने दिला दो ,
सोना खरीदा  आज  तो तक़दीर  खुलेगी,
        बरसों के बाद आया करता ऐसा है मौका

घोटू