Tuesday, May 17, 2011

मेरी जानू तेरे मन में क्या है,ये मै कैसे जानू?

मेरी जानू
तेरे मन में क्या है,ये मै कैसे जानू?
तेरी सुषमा
पैदा करती मुझमे ऊष्मा
तेरी खुशबू
कर देती मुझको बेकाबू
तेरा सपना
लगता मुझको बिलकुल अपना
और तेरे लब
मद के प्याले भरे लबालब
तेरी पलकें
जिनमे सपने पलते कल के
तेरी आँखें
चुभ चुभ जाती मन में आके
तेरा चेहरा
मन में प्यार जगाता गहरा
तेरे गाने
लगते दिल में  प्यार जगाने
तेरे ताने
लगते है सरगम की ताने
 छू तेरा तन
आता है मुझ में परिवर्तन
तुम कमाल हो
और हुस्न से भरा  माल हो
तेरा यौवन
कब मह्कायेगा मेरे जीवन का मधुवन

मदन मोहन बहेती 'घोटू'



 

मैंने पाया प्यार तुम्हारा-दिलसे है आभार तुम्हारा

मैंने पाया प्यार तुम्हारा-दिलसे है आभार तुम्हारा
----------------------------------------------------------
मेरी साँसों के स्वर अब बेचैन हुए है
तुझको पाने आकुल व्याकुल नैन हुए है
तुमने ली मनुहार मान और नज़र झुकाली
मुझको लगता है मैंने नव निधियां पाली
तुमने मेरा प्यार कबूला,ये मन झूला
एक तुम्ही मन में छाई ,सब सुध बुध भूला
हर पल, हर क्षण,दिल में तुम्हारी आहट है
मन में पहले मधुर मिलन की घबराहट है
बसे हुए है,नयनों में बस ,सपन तुम्हारे
गीत मिलन के उमड़ रहे है,मन में सारे
प्रियवर तुम कितनी सुन्दर हो,आकर्षक हो
तुम मनहर हो,मनभावन हो ,मनमोहक हो
चहक तुम्हारी,महक तुम्हारी,दहक तुम्हारी
 कितनी अच्छी,कितनी मादक,कितनी प्यारी
तुम में मधुवन की सुगंध है,तुम में यौवन
आसक्ति,आव्हान,आलिंगन,आल्हादन
तुमसे अपरम्पार प्यार है मेरे मन में
युगों युगों की प्यास  बुझा दी,युगल नयन ने
मै खुशकिस्मत हूँ,जो पाया प्यार तुम्हारा
मेरी प्रियतम ,है दिल से आभार तुम्हारा

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

 

आओ हम मंहगाई बढायें

आओ हम महंगाई बढ़ाये
जब तक सत्ता में है,जम कर लूट मचाएं
दूध,तेल,पेट्रोल,सब्जियां,आटा,दालें
धीरे धीरे करके इनके  दाम  बढाले
क्योंकि जीवन व्यापन को ये बहुत जरूरी
इन्हें खरीदना तो है जनता की मजबूरी
सस्ती हो या महंगी,लेना आवश्यक है
थोड़े दिन तक तो होती थोड़ी दिक्कत है
स्केमो,घोटालों में जो लूटा धन था
उसकी भी भरपायी करेगी  भोली जनता
जितना भी हो सकता,करलो,इसका दोहन
लड़ना भी है ,फिर से अगली बार इलेक्शन
उसके लिए जुटाना खर्चा आवश्यक है
हारेंगे या जीतेंगे,इस में भी शक है
आने वाले पांच साल का चना चबैना
इंतजाम इन सबका है हमको कर लेना
जनता का क्या ,जनता चिल्लाती रहती है
धीरे धीरे मारो तो सब कुछ सहती है
जब चुनाव आएगा कुछ रहत कर देंगे
कुछ दिन चूसो,लालीपॉप थमा कर देंगे
भले विरोधी दल कितने चींखे चिल्लायें
आओ हम मंहगाई बढायें

मदन मोहन बहेती 'घोटू'