नवरात्र में
पत्नी के हाथ में
जब दो दो डंडे नज़र आये
तो घोटू कवि घबराये
और बन कर बड़े भोले
अपनी पत्नीजी से बोले
देवी ,जो भी भड़ास हो मन में
निकाल लो इन नौ दिन में
जितने चाहे डंडे बजा लो
और पूरा जी भर के मज़ा लो
पर इन नौ दिनों के बाद
करना पडेगा इन डडों का त्याग
क्योंकि तुम्हारे हाथों में जब होते है डंडे
होंश मेरे ,पड़ जाते है ठन्डे
इसलिए ये बात मै स्पष्ट कहना चाहता हूँ
बाकी दिन मैं शांति के साथ रहना चाहता हूँ
बात सुन मेरी भड़क गयी पत्नी
और दोनों हाथों में ,डंडे ले तनी
बोली लो ,अभी मिटाती हूँ तुम्हारे मन की भ्रान्ति
पर ये तो बतलाओ ,कौन है ये कलमुंही शान्ति
घोटू