जीवन तो है चाट चटपटी
जीवन तो है तला पकोड़ा ,मस्त चटपटा ,गरम गरम ,
कोई चेप चेप चटनी से,इसके मज़े उठाता है
है परहेज किसी को मिर्ची से या तली वस्तुओं से ,
'क्लोस्ट्राल 'नहीं बढ़ जाए ,खाने में घबराता है
आलू की टिक्की सा यौवन,गरम गरम ,सौंधी खुशबू,
जैसे लगता चाट चटपटी,मुंह में आता है पानी
कोई 'टोन्सिल 'से डरता है तो कोई 'इन्फेक्शन 'से,
मन ललचाता फिर भी खाने में करता आना कानी
एक गोलगप्पे से जैसा ,जब हो खाली ये जीवन,
इसमें भरो चटपटा पानी ,मुंह में रख्खो ,खा जाओ
तीन समोसे के कोनो में ,तीन लोक दर्शन कर लो ,
जी भर इनका मज़ा उठाओ, निज मन को मत तरसाओ
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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Wednesday, March 20, 2013
माँ की मेहरबानियाँ
माँ की मेहरबानियाँ
दूध ,दही,खोया पनीर या 'चीज 'नाम कुछ भी दे दो,
लेकिन अपने मूल रूप में,सिर्फ घास का था तिनका
गौ माता ने मुझको अपना प्यार दिया और अपनाया ,
निज स्तन की धारा से ,निर्माण किया है इस तन का
मुझ से ज्यादा ,क्या जानेगा ,कोई महिमा माता की ,
मै क्या था,माँ की ममता ने,क्या से क्या है बना दिया
दिये पौष्टिक गुण इतने ,भरकर मिठास का मधुर स्वाद ,
मै तो था एक जर्रा केवल,मुझे आसमां बना दिया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
दूध ,दही,खोया पनीर या 'चीज 'नाम कुछ भी दे दो,
लेकिन अपने मूल रूप में,सिर्फ घास का था तिनका
गौ माता ने मुझको अपना प्यार दिया और अपनाया ,
निज स्तन की धारा से ,निर्माण किया है इस तन का
मुझ से ज्यादा ,क्या जानेगा ,कोई महिमा माता की ,
मै क्या था,माँ की ममता ने,क्या से क्या है बना दिया
दिये पौष्टिक गुण इतने ,भरकर मिठास का मधुर स्वाद ,
मै तो था एक जर्रा केवल,मुझे आसमां बना दिया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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