Tuesday, September 24, 2013

अन्दर की बात

         अन्दर की बात

सुन्दर ,स्वच्छ ,धवल वस्त्रों में ,नेताजी की भव्य छटा है
पर अन्दर की बात  यही है ,कि इनका बनियान  फटा है
मत जाओ इनकी बातों पर ,ये कहते कुछ,करते कुछ है,
घोटाले और स्केंडल में , इनका  कार्य काल   सिमटा  है
कभी किसी के नहीं हुए है ,बस अपना मतलब साधा है,
दम है जिधर,उधर ही हम है ,कह करके  पाला पलटा है
कोई कितनी भी गाली दे ,इनको फरक नहीं पड़ता है,
लेकिन अपनी स्वार्थ सिद्धी से ,कभी न इनका ध्यान हटा है
देश हमारा प्रगति शील था,इनने  शील हरण कर डाला ,
दुराचार के आरोपों से ,इनका अंग अंग  लिपटा है
शौक बहुत मख्खनबाजी का ,लगवाते है और लगाते,
घिरे रहे चमचों,कड़छों से ,अब तक जीवन यूं ही कटा है
जब से राजनीति में आये ,पाँचों ऊंगली घी में रहती ,
बस केवल करना पड़ता है,दंद फंद  उलटा सुलटा  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

चाशनी

                चाशनी

पानी को ,चीनी के साथ,
जब गर्मी देकर उबाला जाता है
एक मधुर ,रसीला तरल पदार्थ बन जाता है ,
जो चाशनी कहलाता है
और ये चाशनी जिस पर भी चढ़ जाती है
उसका स्वाद और लज्जत ही बदल जाती है
फटा हुआ दूध भी ,
जब इस चाशनी में उबाला जाता है
रसगुल्ला बन जाता है
और ओटे हुए दूध की गोलियां तल कर,
जब इसमें डाली जाती है
गुलाब जामुन बन जाती है
 सड़ा  हुआ मैदा ,जब अटपटे ,उलटे सीधे ,
उलझे हुए आकारों में तल कर,
जब इसका रस पी लेता है
जलेबी बन कर ,गजब का स्वाद देता है
मैदा या  बेसन,जब अलग अलग आकारों में ,
इसका संग पाते है
तो कभी घेवर ,कभी फीनी ,
कभी बालूशाही बन जाते है  
सिका  हुआ आटा ,सूजी,या पीसी हुई मूंगदाल,
जब इसके संपर्क में आती है
तो हलवा बन कर लुभाती है
ये सारे रसासिक्त व्यंजन
भूख जगाते है और मोहते है मन
पर मुझे इन सबसे ज्यादा ,
लगती है मनमोहक और लुभावनी
तेरा मदभरा प्यार और तेरे रूप की चाशनी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'