मेह-नेह
श्याम श्याम बादल का,ह्रदय चीर ,बहा मेह
सर्वप्रथम टकराई, गरम गरम, हवा देह
तप्त ह्रदय के उसके,पंहुचाई ठंडक फिर
तपी तपी ,उड़ी उड़ी ,गयी उसे माटी मिल
माटी के रंग रंगा, साथ रहा और बहा
हुआ लाल पीला वो,उसके संग ,कहाँ कहाँ
और प्रतीक्षारत बैठी,धीर धरे,प्रिया धरा
मिलन हुआ उसके संग,जी भर के प्यार करा
समा गया उसके मन,भर उमंग, संग संग में
जिसका भी साथ मिला,गया रंग ,उस रंग में
प्यार मिला प्रियतम का,हुई धरा मतवाली
मिला नेह, धरा देह, पर छाई हरियाली
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
श्याम श्याम बादल का,ह्रदय चीर ,बहा मेह
सर्वप्रथम टकराई, गरम गरम, हवा देह
तप्त ह्रदय के उसके,पंहुचाई ठंडक फिर
तपी तपी ,उड़ी उड़ी ,गयी उसे माटी मिल
माटी के रंग रंगा, साथ रहा और बहा
हुआ लाल पीला वो,उसके संग ,कहाँ कहाँ
और प्रतीक्षारत बैठी,धीर धरे,प्रिया धरा
मिलन हुआ उसके संग,जी भर के प्यार करा
समा गया उसके मन,भर उमंग, संग संग में
जिसका भी साथ मिला,गया रंग ,उस रंग में
प्यार मिला प्रियतम का,हुई धरा मतवाली
मिला नेह, धरा देह, पर छाई हरियाली
मदन मोहन बाहेती'घोटू'