Friday, April 26, 2013

बारह की बारहखड़ी

        बारह की बारहखड़ी

गणित में गिनती का एक सरल नियम है ,
कि एक के बाद ,दो आता है
मगर जब एक ,दो के साथ आता है ,
तो बारह बन जाता है
और बारह का अंक ,
बड़ा महत्वपूर्ण अंग है मानव जीवन का
क्योंकि यह प्रतीक है परिवर्तन का
बारह बरस की उम्र के बाद ,
लड़का हो या लड़की ,
सब में परिवर्तन आने लगता है
किशोर मन ,यौवन की पगडण्डी पर ,
आगे की तरफ ,बढ़ जाने लगता है
विश्व के हर केलेंडर में ,
बारह महीने ही होते है और,
बारह महीनो बाद ,वर्ष बदल जाता है
नया साल आता है
और घडी भी ,सिर्फ,
बारह बजे तक ही समय दिखाती है
और उसके बाद फिर एक बजता है,
और नए समय की गति चल जाती है
इस ब्रह्माण्ड में भी ,बारह राशियाँ होती है ,
जो जीवन के चक्र को चलाती है
और जब ग्रह  ठीक होते है,
किस्मत बदल जाती है
म्रत्यु के उपरान्त ,
  बारहवें के   बाद ,
परिवार ,जाने वाले को भूल जाता है
और फिर से नया सिलसिला ,
आरम्भ  हो जाता है
जब जब भी पृथ्वी पर ,पाप बढ़ा है
और भगवान को अवतार लेना पड़ा है
तो उन्होंने भी बारह के अंक पर ध्यान दिया है
श्री राम ने दिन के बारह बजे  और
श्री कृष्ण ने रात के बारह बजे अवतार लिया है
और दुष्टों का नाश किया है
परिवर्तन लाकर ,शांति का प्रकाश दिया है
इसलिए मेरी समझ में यह आता है
की बारह के बाद,हमेशा परिवर्तन आता है
बारह की बारहखड़ी ,
जिसने भी  पढ़ी है
उसके हमेशा पौबारह हुए है ,
और तकदीर ऊपर चढ़ी है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'



बुढापे के हालात

बुढापे के हालात

आप को अब क्या बताएं,क्या कहे ,
                                उम्र के इस दौर के हालात क्या है
जिन्दगी के सिर्फ बीते छह दशक है ,
                                लोग कहते है बुढापा  आ गया   है
अनुभव और निपुणता से भर गए जब ,
                                 'इम्प्लोयर ' ने 'रिटायर' कर दिया है
बच्चे भी तो ज्यादा कुछ सुनते नहीं है ,
                                   सोचते है बुड्ढा अब  सठिया गया है
बुढ़ापे की उम्र ऐसी आई है ये ,
                                      बड़े उलटे  अनुभव  होने लगे  है
नींद यूं तो आजकल कम  आ रही है ,
                                      हाथ,पाँव मगर अब सोने लगे है 
आजकल सिहरन बदन में नहीं होती ,
                                         झुनझुनी पर पाँव में आने लगी है
हुस्न क्या देखें किसी का ,खुद की ही अब ,
                                          आईने में शकल धुंधलाने  लगी है
यूं तो सब कडवे अनुभव हो रहे है,
                                            खून में मिठास पर बढ़ने  लगा है
काम का प्रेशर तो सारा  घट गया है,
                                            मगर 'ब्लड प्रेशर' बहुत बढ़ने लगा है
शान से सर पर सजे थे बाल काले ,
                                            उनकी रंगत में सफेदी  आ गयी  है
हसीनाएं कहती है अंकल या बाबा ,
                                           ऐसी  हालत  अब हमें  तडफा गयी है
मन तो करता है बहुत कुछ करें लेकिन,
                                           आजकल कुछ भी तो कर पाते नहीं है
भूख भी कम हो गयी ,पाबंदियां है,
                                           मिठाई ,पकवान कुछ    खाते  नहीं है
तरक्की की सीढियां तो चढ़ गए पर ,
                                            सीढियां  चढ़ने में दिक्कत आ रही है
मेहनत  अब हमसे हो पाती नहीं है ,
                                               जरा चल लो,सांस फूली जा रही है
देख कर बेदर्दियाँ इस जमाने की ,
                                             दर्द सा अब सीने में उठने  लगा है
अपने ही अब बेरुखी दिखला रहे है,
                                               इसलिए दिल आजकल घुटने लगा है
बांसुरी अब बेसुरी सी हो गयी है ,
                                            जिधर देखो उधर ही अब समस्या   है
आप को अब क्या बताएं,क्या कहें,
                                             उम्र के इस दौर के   हालात क्या है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'